गागलहेड़ी अपना वतन, अपनी माटी की बात ही कुछ और है। इसकी सुगंध से किसान चहकता है, तो कुम्हारों का व्यापार भी महकता है। पौराणिक गाथाओं में माटी के बर्तन में खाना बनाने से लेकर परोसने तक की चर्चा है। शहरी दावतों तक मिट्टी के बर्तनों में खाना परोसना व खिलाने तक का प्रचलन धीरे धीरे बढ़ता जा रहा है। कोराना संकट के बाद मिट्टी के बर्तन पसंद किए जाने लगे हैं। इसे सेहत के लिए लाभकारी माना जा रहा है। अंतर सिर्फ इतना है, पहले कुम्हार के बनाए गए सखोरा व कुल्हड़ व मथना में दही परोसा जाता था, अब इस कारोबार को आधुनिकता से जोड़ा गया है। थाना क्षेत्र के ग्राम चोरादेव के रहने वाले राजबीर सिंह अपने गांव में तो माटी के बर्तन बना ही रहे है। बल्कि नजीबाबाद मंडलीय स्तर पर भी कार्य करते है। 16 जिलों की ट्रेंनिग देते है।
*मिट्टी के कूकर व कड़ाही भी…*
गागलहेड़ी- रसोई में अब मिट्टी के बर्तन नजर आने लगे हैं। मिट्टी से बना कूकर में सामान्य कूकर की तरह सिटी भी है। इसमें बने खाने में मिट्टी की खुशुबू स्वाद बढ़ा देती है। ऐसी ही कड़ाही भी है। यह तीन लीटर तक की क्षमता वाली है। वही रोटी बनाने के लिए तवा चाय पीने के लिए कप तक राजबीर सिंह बना रहे है।
*कैटर्स की पसंद में मिट्टी की क्राेकरी भी..*
गागलहेड़ी- राजबीर सिंह का कहना है कि बाजार में लोहा, पीतल, कांच और प्लास्टिक की बोतल देखने को मिलती थीं। अब मिट्टी की बोतल भी बाजार में पहुँच रही है। इसकी क्षमता एक लीटर तक है। इसके अलावा पांच लीटर तक का कैंपर भी बाजार में मौजूद है। डाई से तैयार मिट्टी की क्राेकरी कैटर्स की भी पसंद बनती जा रही है। महंगी जरूर है, मगर अच्छी है। मिट्टी से निर्मित थाली भी बाजार में है, जिसमें एक थाली, चार कटोरी, गिलास, चटनी की कटोरी चम्मच सहित नौ आइटम हैं। बाजार में इसकी कीमत 250 रुपये है।
*पोषक तत्वों से भरपूर..*
गागलहेड़ी- घड़े और सुराहियों में पानी भरकर रखने से ना सिर्फ वो ठंडा हो जाता है बल्कि उसमें पोषक तत्व भी भरपूर होते हैं।साथ ही इसका स्वाद भी मीठा होता है। मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, गंधक और मैग्नीशियम जैसे जरूर तत्व होते हैं, जिससे शरीर को कई बीमारियों से लड़ने की ताकत भी मिलती है।
*बर्तन कारीगर राजबीर सिंह का कहना है..*
गागलहेड़ी- मिट्टी के बर्तन बनाने का हुनर हमें पुरखों से मिला है। प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगने से कुल्हड़ की मांग बढ़ गई है। रेफ्रिजरेटर के स्थान पर मटके का पानी पीने का प्रचलन फिर बढ़ गया है। बाजार में मिट्टी के बर्तनों की मांग से कारोबार बढ़ रहा है।
रिपोर्ट रमेश सैनी सहारनपुर इंडियन टीवी न्यूज़