इंडियन टीवी न्यूज
सुशील चौहान
बरघाट विकासखंड के धान खरीदी केंद्रों में स्थिति दिन-प्रतिदिन बदतर होती जा रही है। वर्तमान में हजारों क्विंटल धान स्टैक लगने के बाद भी खुले प्रांगण में तौल कर रखी हुई है।परिवहन की धीमी गति के कारण किसानों को समय पर भुगतान नहीं मिल रहा है। इसके अलावा, धान खरीदी केंद्रों में समय पर परिवहन न होने से अव्यवस्था की स्थिति बन गई है। इससे न केवल किसानों को परेशानी हो रही है, बल्कि धान खरीदी केंद्रों के प्रभारी भी तनाव झेल रहे हैं परिवहन की सुस्त रफ्तार बढ़ा रही है समस्या
प्रशासन के कागजी दावे के अनुसार, रेडी टू स्टॉक स्थिति में 48 घंटों के भीतर परिवहन और सात दिनों के भीतर किसानों को भुगतान का प्रावधान है। लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है।कई किसानों की धान का तौल हुए 20-25 दिन बीत चुके हैं, लेकिन परिवहन की लचर व्यवस्था के कारण उनका धान अभी भी खरीदी प्रांगण में पड़ा हुआ है। समय पर भुगतान का दावा महज कागजों तक सीमित रह गया ह।कई केंद्रों में ट्रकों की आवक नियमित है,लेकिन कुछ केंद्रों में पिछले एक सप्ताह से ट्रक नहीं पहुंचे हैं। इससे किसानों के साथ-साथ खरीदी केंद्रों की व्यवस्था भी चरमराई हुई है।
*मिलर्स की नाकामी और प्रशासन की उदासीनता*
शुरुआत से ही जिले के मिलर्स को खरीदी केंद्रों से धान का उठाव करना था। लेकिन मिलर्स ने इस जिम्मेदारी में कोताही बरती। धान उठाव में समानता का अभाव देखने को मिल रहा है, जहां प्रभावशाली केंद्रों से धान जल्दी उठाया जा रहा है।