फलावदा मेरठ संवादाता
प्रिंस रस्तोगी
कस्बे मैं सैफी समाज द्वारा आयोजित शानदार मुशायरा रात्रि 9:00 बजे आरंभ हुआ जिसका उद्घघाटन कांग्रेस नेता सैयद रेहानुद्दीन व पूर्व चेयरमैन अब्दुस तय समद ने फीता काटकर किया l कार्यक्रम में कस्बे के पत्रकार बंधुओ को भी डायरी व पेन देकर व कवियों साहित्य क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए सनद देकर सम्मानित किया गयाl मुख्य अतिथि के तौर पर सैफी संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष हसीन सैफी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की व संचालन आशिक महलकवि ने किया l कार्यक्रम में कवियों द्वारा प्रस्तुत की गई रचनाओं में से पसंद की गई पंक्तियां निम्नलिखित हैंl
मेहमान शेयर डॉक्टर सदाकत देवबंदी ने कहा कि एक तेरी वफा का है एक तेरी जफा का खत l तहरीर मिलाता हूं तहरीर नहीं मिलती l अहमद मुजफ्फरनगरी में पढ़ा की शान से जुर्म ए मोहब्बत की सजा की तस्लीम l कोई शिकवा भी सर ए दार किया हो तो बताll राशिद कमाल देवबंदी ने कहा कि अना पर मुस्तकिल इतना सितम ढाया नहीं करते l जहां इज्जत नहीं होती वहां जाया नहीं करते ll उस्ताद शायर अनावार उल हक़ शादां ने पढ़ा की जिसकी बुनियाद में रक्खी हो शिकस्ता ईंटेंl उस फलक बोस इमारत का भरोसा क्या हैll मास्टर सहयाद्री नाजिर ने कहा कि जिसने बच्चों के रहने की छत छीन लीl उसको रहबर बनाने से क्या फायदाll मिर्ज़ा हसीमुद्दीन हमदम ने कहा कि बेसहारा जो है इंसान बफैज़ दौरांl उनको सीने से लगाओ तो कोई बात बनेll मास्टर आशिक महल कभी ने कहा कि सर ए जादा में अपना दिल जलाए बैठा रहता हूंl चले आओ जहां तक भी जिया मालूम होती हैllअब्दुस समद साहिर ने कहा कि अपने लोगों की हिफाजत का जिसे पास नहीं l क्यों उसे कोम का सरदार समझ रक्खा है ll चांद रिजवी चंद ने कहा कि मैं तो बाप हूं होश में आऊं कैसेl रुखसती बेटी की गरीबों को गैरों को रुला देती हैll निशा अहकर फरीदी ने पढ़ा की थाने में सिर्फ इसलिए लाया गया मुझेl अल्लाह दिया है नाम विजेंद्र नहीं हूं मैंll नईम अख्तर देवबंदी ने पढ़ा की दरबदर मांगते हो अख्तरl रब से फरयाद क्यों नहीं करते ll
इनके अलावा निसार अहकर, डॉक्टर सलीम खान, हाफिज महफूजुर रहमान माहिर, जफर अब्बास, अल्तमश मेरठी, साकिब मेरठी, फैसल मेरठी, मुरसलीन माहिर इकलवी ताज अली ताज आदि ने भी अपनी रचनाओं से श्रोताओं का मन मोह लियाl कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉक्टर नईम सैफी, नूर सैफी आसिफ सैफी, आरिफ प्रधान, डॉक्टर शाहबाज आलम, आजम सलमानी, शमी मिर्जा, शहंशाह जफर, नायाब प्रधान, मोबिन मंसूरी शराफत अली सुहैल अहमद, नवाबुद्दीन सैफी आदि श्रोता आख़िर तक मौजूद रहेll
कार्यक्रम के अंत में मुशायरा कन्वीनर इमरान सैफी ने सभी कवियों व श्रोताओं का धन्यवाद किया