प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ स्वामी के निर्वाण महोत्सव पर हुई जैन बाग मंदिर जी मैं भव्य कैलाश पर्वत रचना
जैन बाग स्थित दिगंबर जैन मंदिर के पावन परिसर मे अष्टापद कैलाश पर्वत की अद्भुत दिव्य रचना करके, प. पू. आचार्य श्री सौभाग्य सागर जी महाराज संसघ के सानिध्य में प्रथम तीर्थंकर देवाधिदेव श्री आदिनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक अत्यंत भव्यता और दिव्यता के साथ मनाया गया,भगवान आदिनाथ के कैलाश पर्वत से मोक्ष जाने पर भरत चक्रवर्ती द्वारा उस पवित्र पावन पर्वत पर 72 जिनालयों का निर्माण कराकर पूजा अर्चना भक्ति की गयी थी,चतुर्थ काल के इस दृश्य को साक्षात जीवंत प्रस्तुत करने के लिए आचार्य श्री सौभाग्य सागर, सुरत्न सागर संसघ की पावन सानिध्य में सहारनपुर में प्रथम बार ऐसी पुण्यावर्धक मांगलिक अद्भुत रचनाकर कैलाश पर्वत के साक्षात दर्शन कराने का सफल प्रयास किया गया,इस पवित्र पावन मांगलिक अवसर पर अपनी प्राणी मात्र के लिए कल्याणकारी देशना में परम पूज्य आचार्य श्री सौभाग्यसागर एवं श्री सुरत्न सागर ने कहा जो जीव तीर्थंकर प्रभु के पंचकल्याणक में मन वचन काय की विशुद्धि के साथ प्रतिभाग करते हैं, उपस्थित होते हैं अथवा अनुमोदना करते हैं,उनके अनन्त भवो के पापों का क्षय हो जाता है, वे भी संयम साधना कर परंपरा से अपनी आत्मा का कल्याण कर लेते हैं।
जैन समाज के यशस्वी अध्यक्ष राजेश कुमार जैन विगत 4 माह से अस्वस्थ हैं,अस्वस्थता के उपरांत भी उन्होंने ऐतिहासिक अष्टापद पर्वत के रचना के अतिशयकारी कार्य का कुशल निर्देशन किया,राजेश जैन ने अपने संबोधन में कहा की सहारनपुर के इतिहास में अकल्पनीय और अविश्वसनीय धर्म प्रभावना का यह कार्य लंबे समय तक स्मृति में बना रहेगा,सहारनपुर धर्म नगरी होने के साथ-साथ विद्वानों की धरा है,यहाँ धर्म प्रभावना के कार्य निरंतर होते रहने चाहिए,समाज के प्रत्येक श्रावक को को राग-द्वेष की भावना से ऊपर उठकर प्राणी मात्र के कल्याण और भगवान महावीर स्वामी की शिक्षाओ के अनुरूप कार्य करते हुए अपना जन्म सार्थक करना चाहिए, प्रेम,वात्सल्य,विनय और सम्मान के भावों से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं और सभी के परिणाम निर्मल रहते हैं,अहंकार की भावना को छोड़कर प्राणी मात्र के हित में सभी को धार्मिक कार्यों में यथाशक्ति योगदान करना चाहिए,विगत कुछ वर्षों में जैन बाग में ऐतिहासिक कार्य हुए हैं,साधुओ की चर्या के अनुरूप विशाल संत निवास के निर्माण के साथ-साथ स्वाध्याय कक्ष का निर्माण पूर्ण हो चुका है,आधुनिक सुविधाओं से युक्त वातानुकूलित धर्मशाला समाज के उपयोग के लिए अतिशीघ्र तैयार होने वाली है,सभी कार्य समाज द्वारा ही कराये जा रहे हैं,सभी प्रेम से सौहार्दपूर्ण पूर्ण वातावरण में रहकर स्वहित के साथ-साथ परहित में भी यथाशक्ति योगदान करते रहें, तभी मनुष्य के रूप में जन्म लेना सार्थक है,अन्यथा हम पशुओं से भिन्न नहीं है, हमें अपने आचरण से अपने जन्म को धर्ममय बनाने की आवश्यकता है।
अनिल जैन सी ए ने कहा हम सभी सिद्ध,अतिशय और तीर्थ क्षेत्रो की मंगल वदना के लिए जाते रहते हैं, ऐसे पवित्र पावन तीर्थो की वंदना करके भावों में विशुद्धि परिणामो में निर्मलता लाने का प्रयास करते हैं,सहारनपुर का अत्यंत प्रगाढ पुण्य है, चतुर्विध संघ जिसमें दो परम तपस्वी आचार्य, दो मुनिराज 4 छुल्लिका माताए और एक छुल्लक महाराज हैं, चेतन तीर्थ का यह संघ विगत 9 दिनों से अपनी दिव्य देशना से हमारा मोक्ष मार्ग प्रशस्त कर रहा है, जीवो का पुण्य इतना प्रगाढ है, चेतनतीर्थ का यह संघ 5 डिग्री टेंपरेचर में हरिद्वार से विहार करके नगर में हमारी आत्मा को अनंत काल के कर्मों की कारागार से मुक्त कराने के लिए अपनी मंगल देशना से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर रहा है, चेतन तीर्थ खुद चल कर आये हैं,हम स्वंय के साथ-साथ अपने इष्ट मित्रों को इस मंगल देशना को सुनने के लिए प्रेरित करें ताकि सभी इस मंगलमय देशना से लाभान्वित होकर संयम के मार्ग को अंगीकार कर सके,अपना जन्म धन्य कर सके।
भाजपा के पूर्व नगराध्यक्ष, जैन समाज के संरक्षक राकेश जैन ने द्वय आचार्य श्री के चरणों में नमोस्तु निवेदित करते हुए कहा इस अद्भुत कैलाश पर्वत की परिकल्पना के लिए सहारनपुर जैन समाज आचार्य संघ के इस उपकार को कभी भूला नहीं पायेगा, चतुर्थ काल के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ के मोक्ष कल्याणक के इस साक्षात मंगलकारी दृश्य की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता, मोक्ष कल्याणक का यह महापर्व सभी के लिए मंगलमय और कल्याणकारी हो।
,मोक्ष कल्याणक की मांगलिक क्रियाओं को व्यवस्थित ढंग से कराने करने के लिए बोली के माध्यम से पात्रो चयन किया गया,श्री जिनेंद्र प्रभु के प्रथम अभिषेक शांतिधारा का सौभाग्य रवि जैन कूलर वाले,दीपक जैन,सुमित जैन, वी के जैन,श्रवण जैन दीपक जैन चूड़ी वाले,राहुल जैन,अमित जैन, सौरव जैन नितिन जैन,अमित जैन, कपिल जैन को प्राप्त हुआ,अष्टापद पर्वत पर 72 त्रिकाल चौबीसी के जिनबिम्बो को विराजित करने वाले पुण्यशाली श्रावकों के साथ-साथ सर्वोच्च शिखर के मंदिर में अतिशयकारी भगवान आदिनाथ के जिनबिम्ब को विराजित करने का सौभाग्य चौ.अवनीश जैन राजा, राजीव जैन आदित्य जैन को प्राप्त हुआ,भगवान आदिनाथ के पावन चरणों में निर्वाण लाडू समर्पित करने का सौभाग्य चौ.अनुज जैन,विनोद जैन आदित्य जैन,गौरव जैन सौरभ जैन, रवि जैन कूलर वाले और पंकज जैन को प्राप्त हुआ,महाआरती के पुण्यार्जक अविनाश जैन नाटी, विपिन जैन चांदी वाले, मंजू लता जैन, मुकेश जैन सौरव गौरव और हरबंस जैन रहे।
कार्यक्रम का सफल और सजीव संचालन समाज के महामंत्री संजीव जैन द्वारा किया गया
इस मांगलिक अद्भुत कार्यक्रम को सफल बनाने में अनुज जैन,अजय जैन, आयुष जैन(राजा),संदीप जैन, नितिन जैन संजय जैन,तरस तृप्त जैन,दीपक जैन,विनय जैन, निखिल जैन ,आदित्य जैन विभोर जैन, विपिन जैन,अभिषेक जैन, धवल जैन, अतिशय जैन,ऋषभ जैन, अक्षत जैन, वर्णित जैन संयम जैन समर जैन ,का योगदान सराहनीय और प्रशंसानीय रहा, प्रभु के मोक्ष कल्याणक के इस पवित्र आयोजन में सैकड़ो श्रावक श्राविकाएं साक्षी रहे और उन्होंने विशुद्धि प्राप्त कर अपने कर्मों का क्षय किया।
रिपोर्टर रमेश सैनी सहारनपुर इंडियन टीवी न्यूज़