इंडियन टीवी न्यूज से प्रताप नागरे
पत्रकारो से सूत्र पूछने का पोलीस और कोर्ट को कोई अधिकार नाही : सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली सुत्रो के हवाले से खबर लिखने वाले पत्रकारो के लिये अच्छी खबर है ! सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिरसे पोलीस विभाग और प्रशासकीय अधिकारीयो पर जमकर निशाणा साधा है! सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ती धनंजय यशवंत चंद्रचूड की बेचने पोलीस को भारतीय संविधान के आर्टिकल 19 और 22 याद दीलाई है !
कोर्ट बी पत्रकार को बाद्य नही कर सकते – चीफ जस्टीस ने कहा कि पत्रकारोके मौलिक अधिकारोकी स्वातंत्रता के खिलाफ पोलीस किसी भी पत्रकार से उनकी खबरो के लिए सूत्र नही पूछ सकती है! जहाँतकी कोर्ट भी उन्हे ऐसा करने के लिए बाध्य नही कर सकता !
पोलीस नही कर सकती पत्रकारो की स्वातंत्रता का हनन – चीप जस्टीस
चीफ जस्टीस ने कहा की, आजकल ये देखने को मिल रहा है की बिना किसी ठोस सबूत और बिना जाच के पत्रकारों के खिलाफ मुकदमे दर्द कर लिये जाते है! श्रेष्ठ बनने के पत्रकार ने पोलीस पत्रकारो की स्वातंत्रता का हनन कर रही है!
आपको बता दे की सुत्रो के हवाले से चलने वाले खबरो के कही मामले कोर्ट मे जा चुके है! पत्रकारो से खबरो के सूत्र बताने का आदेश भी दे चुके है! लेकिन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के इस फैसले के बाद मीडिया जगत मे उत्साह है! जानकारी के लिये बता दी की हमारे देश में किसी विशेष कानून के जरी ये पत्रकारो को अधिकार हासील नही है ! पत्रकारों के लिए अभिव्यक्ती की आजादी का अधिकार बाकी नागरिको को तरह संविधान के अनुच्छेद 19(1) के अंतर्गत ही मिले हुए है!
अपने सुत्रो को गोपनीय रखने का पत्रकारो को पूरा अधिकार,
पत्रकारों को अपने सूत्रो को गोपनीय रखने का अधिकार प्रेस कौन्सिल ऑफ इंडिया ॲक्ट 1978 के तहत मिला हुआ है! इसमे 15(2) सेक्शन मे साप तोर पर लिखा हुआ है, किसी भी किसी भी पत्रकारो को खबरो के सूत्र की जानकारी के लिये कोई बाध्य नाही कर सकता लेकिन काउंसिल ऑफ इंडिया नियम कानून कोर्ट मे लागू नही होते है! इसके के आधार पर कोर्ट ने किसी तरह की छूट की मांग नही की जा सकती है!