
केशव साहू जिला राजनादगांव छत्तीसगढ़
भारत की धरती में जन्म लेकर दुनिया को सत्य, अहिंसा, कर्मयोग,और सत्याग्रह का संदेश देने वाली दुनिया के महान क्रांतिकारी नारी, ममता की मूर्ति संत कर्मा माता की आज चैत कृष्ण पक्ष एकादशी को पावन जन्म जयंती है।
आज से 1009 वर्ष पूर्व 1073 संवत को झांसी यूपी में रामशाह साहू की बेटी के रूप में कर्मा का जन्म हुआ और विवाह नरवर गढ़ में धनाढ्य सभ्रांत तेली परिवार,तेल के बड़े व्यापारी और सामाजिक मुखिया के यहां संपन्न हुआ था। वर्तमान में नरवरगढ़ शिवपुरी जिला मध्यप्रदेश में स्थित है, जो कि तेलियों की महान और एक मात्र तीर्थ है, *नरवरगढ में सामाजिक जागरूक कार्यकर्ता श्री मनीष साहू जी मो नंबर 88188 07703 हैं जो मेडिकल व्यवसाई हैं* आप एक बार जरूर नरवारगढ की यात्रा करें, श्री मनीष जी आगंतुकों के बहुत सम्मान करते हैं।
जन्म से ही कुशाग्र बुद्धि के धनी कर्मा अपने पिता रामशाह से अक्सर देश, काल, धर्म, राजसत्ता, अर्थ व्यवस्था और तमाम नीतियों पर तार्किक सवाल किया करती थी।
1, जब सारी दुनिया पशु पक्षी के शिकार कर अपने पेट भरते थे तब माता कर्मा ने *खिचड़ी का आविष्कार* कर भोजन की नई पद्धति प्रारंभ किया जो अहिंसा के प्रतीक था।
खिचड़ी स्वास्थ वर्धक और पौष्टिक होता है, बीमार को खिचड़ी खाने का सुझाव डाक्टर देते हैं, सभी पावन अवसर पर खिचड़ी का महाप्रसाद वितरण की परंपरा बन रही है।
2,आज दुनिया में संत परंपरा , शाकाहारी बनो, के अनेक संस्था कार्य कर रही है, वह सब माता कर्मा की ही दिखाए राह पर हैं।
3, दुनिया के प्रसाद ,प्रसाद है। कर्मा का प्रसाद महा प्रसाद है, महाप्रसाद मैत्री के प्रतीक है। आज भी संत परंपरा के लोग अपने हथेली पर महाप्रसाद लेकर मानसिक भोग लगाते हैं फिर बाद में भोजन ग्रहण करते हैं।
दो मित्र अपने हथेली पर महाप्रसाद को लेकर शपथ लेते हैं और मित्रता को कई पीढ़ियों तक निभाते हैं ।
4, माता कर्मा जातिवाद के भी विरोधी रही हैं और उन्होंने जातिवाद पर कड़ा प्रहार किया, सछुत और अछूत के बीच अप्रिश्यता को मिटाया, दो किसी भी जाति के लोग चाहे अछूत जाति के हों या सछूत जाति के हों एक बार माता कर्मा के महाप्रसाद को हाथ पर ले लिया तो परिवार से भी बढ़कर संबंध को निभाते हैं *जिसे छत्तीसगढ़ में महाप्रसाद कहते* हैं।
5, एक कहावत मशहूर है,, *जगन्नाथ के भात जगत पसारे हाथ और अपन हाथ जगन्नाथ* खिचड़ी का आविष्कार कर माता कर्मा ने समस्त जीव प्राणियों के प्रति दया और करुणा को दिखाया, संसार को शुद्ध और शाकाहारी भोजन पद्धति दिया *वह हाथ तो कर्मा का है*, इसलिए कर्मा के भात जगत पसारे हाथ कहना चाहिए।
6, तेल दुनिया के बड़े और एक मात्र संसाधन के रूप में उपयोग किए जाते थे, जब राजा ने तेल के उत्पादन और निर्यात पर राजकीय शुल्क को अत्यधिक बढ़ा दिया तब माता कर्मा ने तेल पर से *सभी टैक्स माफ कर सारा टैक्स का भार* अपने ऊपर लेकर सत्य के साथ जनता का साथ दिया। क्योंकि तेल पर टैक्स बढ़ने से सभी वस्तु के दाम बढ़ जाने से महंगाई बढ़ जाती।
7, सभी कर्मयोगी जातियों को कर्मयोग के सिद्धांत पर चलने और अपने *पुस्तैनी कारोबार से समृद्धि* की शिक्षा दिया।
8, माता कर्मा ने पखवाड़े में एक दिन का भोजन सामाजिक विकास के दान में देने के लिए अनुरोध किया जिसे स्वीकार कर सभी लोगों ने एकादशी माता कर्मा के जन्म पर *एकादशी उपवास रखकर* एक दिन के भोजन का राशन जन कल्याण के लिए दान करते थे।
9, सारी दुनिया को सत्य के राह पर चलने और अन्याय का विरोध करने के लिए *सत्याग्रह का आंदोलन* चलाकर दुनिया को सच्चाई का संदेश दिया।
10, सारी दुनिया को *कर्मनेवाधिकारस्ते मां फलेसु कदाचनम* के सिद्धांत पर जीने की राह दिखाई।
11, माता कर्मा ममता की मूर्ति थी जिन्होंने *कोई भी भूखा न सोए* इसका ध्यान रखा।
12, माता कर्मा पति के मृत्यु के बाद भी सम्पूर्ण जाति समुदाय, गरीब, मजबूर, बेसहारा और *बेबस लोगों के कल्याण* के लिए सारे जीवन कार्य करती रहीं।
13, अपने कल्याण के लिए अपने परिवार की भलाई के लिए तो सभी जीते हैं, अपनों के लिए दिन और रात भगवान की भक्ति करते हैं, लेकिन माता कर्मा ने *सम्पूर्ण जीवन को समाज के लिए समर्पित* किया, इसलिए आज हजारों वर्षों के बाद भी उनकी याद में जयंती मनाते और उन्हें पूजते हैं, ऐसे महान व्यक्तित्व को संत ही कहा जाना चाहिए जिन्होंने *सम्पूर्ण जीवन इंसानियत* को समर्पित कर दिया।
14, ऐसे तो सभी किसी न किसी देवी देवताओं की भक्ति करते हैं, या तो किसी व्यक्ति के भी भक्त हो सकते हैं, परंतु माता कर्मा की बराबरी अभी तक नही हो सका है इसलिए माता कर्मा को भक्त कहना उनके संघर्षों के साथ न्याय नहीं हो पाएगा, इसलिए जिन्होंने समाज के लिए जिया उन्हें *संत कर्मा माता* कहना उचित होगा मैं ऐसा मानता हूं।15, माता कर्मा संत हैं, जो कर्मा के विचारों के विस्तार के लिए काम करते हैं वह भक्त कर्मा, और जो उनके राह पर चलते हैं उन्हें कर्माहा कहा जा सकता है। बाकी सभी अपनी सोच और विचारों के लिए स्वतंत्र हैं।
*सभी तेली एक हों आपस में प्रेम और मित्रता हो, सभी एकता के साथ समृद्धि की ओर आगे बढ़े यही कामना इस पावन अवसर पर मेरी ओर से समर्पित है।*
ऐसे महान संत,सामाजिक क्रांतिकारी, जिनके विचारों में समुद्र की गहराई और आसमान की ऊंचाई है, दुनिया के पहले संत, संसार के प्रथम विवेक शील नारी का जन्म तेली समाज में होना समाज लिए सौभाग्य की बात है। संत कर्मा माता के चरणों में शत शत नमन करते हुए वंदन करता हूं।
*आइए हम इस वर्ष कर्मा जयंती पर संकल्प ले कि कोई भी सामाजिक बंधुओं से वार्तालाप के पूर्व जय कर्मा का अभिवादन करेंगे, जिससे सामाजिक एकता मजबूत हो*