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दयालपुर हादसा: मलबे में फंसी ज़िंदगी को बचाने उतरे ‘विक्टर’ और ‘रैंबो’, एनडीआरएफ की सतर्कता ने टली एक बड़ी त्रासदी

दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाके दयालपुर के शक्ति विहार में शनिवार सुबह उस समय अफरा-तफरी मच गई जब एक बहुमंजिला इमारत अचानक ढह गई। हादसे की भयावहता इतनी थी कि देखते ही देखते पूरा इलाका मलबे के ढेर में तब्दील हो गया। कई लोगों के दबे होने की आशंका ने राहत एजेंसियों को तुरंत सक्रिय कर दिया।

राहत कार्य में जुटी एनडीआरएफ

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं। आधुनिक मशीनों के साथ-साथ प्रशिक्षित डॉग स्क्वायड को भी अभियान में शामिल किया गया। राहत कार्य बेहद चुनौतीपूर्ण था क्योंकि मलबा बहुत भारी था और किसी भी तरह की लापरवाही किसी की जान पर भारी पड़ सकती थी।

11:30 बजे का वो पल, जब उम्मीद जगी

सुबह करीब 11:30 बजे के आसपास घटनास्थल पर मौजूद डॉग स्क्वायड के दो विशेष खोजी कुत्ते—विक्टर और रैंबो—ने अचानक एक स्थान पर ज़ोर-ज़ोर से भौंकना शुरू कर दिया। उनकी प्रतिक्रिया सामान्य नहीं थी। एनडीआरएफ के अनुभवी सदस्यों ने तुरंत समझ लिया कि मलबे के नीचे कोई ज़िंदा व्यक्ति हो सकता है। कुत्तों की निशानदेही पर फौरन खुदाई शुरू की गई।

मलबे से सुरक्षित बाहर निकाला गया व्यक्ति

कुछ ही देर की खुदाई के बाद टीम को कामयाबी मिली और मलबे के नीचे दबे एक व्यक्ति को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। उसे तुरंत एंबुलेंस के ज़रिए अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टरों के मुताबिक, यदि कुछ और देर हो जाती, तो स्थिति बेहद गंभीर हो सकती थी।

विक्टर और रैंबो की बहादुरी को सलाम

विक्टर और रैंबो की सतर्कता और बेहतरीन ट्रेनिंग ने एक जान बचा ली। ये सिर्फ कुत्ते नहीं, बल्कि आपदा के समय मानवता के सच्चे प्रहरी हैं। डॉग स्क्वायड की मौजूदगी और भूमिका ऐसे हादसों में कितनी अहम होती है, यह घटना उसका जीता-जागता उदाहरण है।

स्थानीय लोग और प्रशासन का सहयोग

राहत कार्य में स्थानीय लोगों ने भी प्रशासन का भरपूर साथ दिया। वहीं, पुलिस ने इलाके को चारों तरफ से सील कर राहत दलों को निर्बाध रूप से काम करने का मौका दिया। एनडीआरएफ के अधिकारियों ने भी बताया कि अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक हर व्यक्ति को ढूंढ नहीं लिया जाता।

  1. निष्कर्ष:
    दयालपुर हादसे ने एक बार फिर हमें यह सिखाया कि आपदा चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो, यदि समय रहते सही कदम उठाए जाएं और प्रशिक्षित टीमें मौजूद हों, तो कई जिंदगियां बचाई जा सकती हैं। विक्टर और रैंबो जैसे खोजी कुत्तों ने यह साबित कर दिया कि असली हीरो हमेशा इंसान नहीं होते।