
प्रीतम यादव ब्यूरो चीफ इंडियन टीवी न्यूज़ !
पांडातराई —
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पांडातराई में डॉक्टर नहीं, मरीज बेहाल 20 गांवों की आबादी को नहीं मिल रही प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं–
राज्य सरकार भले ही स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही हो, लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे काफी अलग है। पांडातराई स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) डॉक्टर और संसाधनों की भारी कमी से जूझ रहा है। स्थिति यह है कि न तो कोई डॉक्टर पदस्थ है और न ही एंबुलेंस जैसी आपातकालीन सुविधा उपलब्ध है।
1. 20 गांवों के भरोसे एक खाली स्वास्थ्य केंद्र
इस स्वास्थ्य केंद्र पर पांडातराई नगर सहित लगभग 20 गांवों की स्वास्थ्य ज़िम्मेदारी है, लेकिन डॉक्टर की अनुपस्थिति में यह केंद्र सिर्फ नाम का रह गया है। मरीजों को सामान्य बीमारियों के लिए भी तहसील या जिला अस्पतालों का रुख करना पड़ता है।
2. महिलाओं और बच्चों पर सबसे अधिक प्रभाव
डॉक्टरों की अनुपलब्धता का सबसे अधिक असर गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर पड़ रहा है। मौसमी बीमारियों और प्रसव जैसी स्थितियों में समय पर उपचार न मिलने के कारण कई बार गंभीर स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं।
3. इमरजेंसी में नहीं मिलता इलाज
अस्पताल में न तो 24 घंटे इमरजेंसी सेवाएं हैं, न ही कोई ट्रेंड स्टाफ जो आपात स्थिति में उपचार कर सके। दुर्घटना या गंभीर रोग की स्थिति में मरीजों को सीधे जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है, जिससे समय और पैसे दोनों की बर्बादी होती है।
4. स्थानीय प्रतिनिधियों और प्रशासन की उदासीनता
स्थानीय नागरिकों ने कई बार जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को इस समस्या से अवगत कराया है, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। डॉक्टर की लंबे समय से खाली पदस्थापना से क्षेत्र में नाराजगी बढ़ रही है।
5. राजनीतिक उपेक्षा से नाराज़ नागरिक
स्थानीय लोगों का कहना है कि कांग्रेस सरकार के समय भी इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया और अब भाजपा सरकार में भी कोई बदलाव नहीं दिख रहा है। लोगों को उम्मीद थी कि सत्ता परिवर्तन के साथ समाधान होगा, लेकिन नतीजा आज भी शून्य है।
6. RMA के भरोसे चल रहा इलाज
फिलहाल अस्पताल में मौजूद RMA (रूरल मेडिकल असिस्टेंट) के भरोसे इलाज चल रहा है, जो सिर्फ सीमित दवाइयां और प्राथमिक इलाज कर पाता है। गंभीर बीमारियों के इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है।
निष्कर्ष:
पांडातराई और इसके आसपास के गांवों की आबादी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की हकदार है। डॉक्टर की नियमित नियुक्ति और पर्याप्त संसाधनों की व्यवस्था किए बिना स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार संभव नहीं है। यह न केवल जनस्वास्थ्य का प्रश्न है बल्कि नागरिकों के मौलिक अधिकार से जुड़ा मुद्दा भी है।