
नरेश सोनी
इंडियन टीवी न्यूज
ब्यूरो हजारीबाग
विभावि के हिंदी विभाग में भारतीय ज्ञान परंपरा और कृत्रिम मेधा पर आयोजित हुआ कुलाधिपति व्याख्यान
भारतीय ज्ञान परंपरा समावेशी, समग्र और संपूर्ण: कुलपति प्रो चंद्र भूषण शर्मा
युवा वेद और तकनीक को साथ लेकर चले: डॉ जंग बहादुर पांडे
विनोबा भावे विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के तत्वावधान में कुलाधिपति व्याख्यान माला की तीसरी कड़ी का आयोजन 22 मई को किया गया। अतिथियों का स्वागत विद्यार्थियों के द्वारा पुष्प वर्षा एवं भारतीय पारंपरिक विधि विधान से किया गया। तत्पश्चात अतिथियों के द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्पार्चन किया गया। छात्रा मानसी, संध्या, फातमा के द्वारा मनमोहक स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया।
व्याख्यान माला का विषय था *”भारतीय ज्ञान परंपरा और कृत्रिम मेधा”* । इस विषय पर बीज वक्तव्य डॉ० सुबोध कुमार सिंह ‘शिवगीत’ ने प्रस्तुत किया, इन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा स्वार्थ का नहीं वरन परमार्थ का है तेन त्यक्तेन भुंजीथा: के आर्षवाक्य से भारतीय ज्ञान की समृद्धि का बोध होता है।
विभावि के कुलपति प्रो चंद्र भूषण शर्मा बतौर मुख्य अतिथि, कार्यक्रम को संबोधित किया। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा अखंड भारत की ज्ञान परंपरा के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। भारतवर्ष के अंतर्गत भाषाई, सांस्कृतिक, कलात्मक वैविध्य की असीम सम्पदा को संजोने तथा पल्लवित पुष्पित करने की आवश्यकता है। भारतीय ज्ञान परंपरा किसी के विरोध में नहीं बल्कि समावेशी, समग्रता और संपूर्णता के परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए।
मुख्य वक्ता प्रो० (डॉ०) जंग बहादुर पाण्डेय, पूर्व अध्यक्ष, राँची विश्वविद्यालय, राँची सह प्रति कुलपति थावे विद्यापीठ ने भारत के युवाओं को वेद एवं तकनीक को एक साथ लेकर चलने की सलाह दी। ज्ञान श्रद्धा, तत्परता और इंद्रिय निग्रह से प्राप्त की जा सकती है। इन्होंने शास्त्रीय, लोकमत एवं व्यावहारिक ज्ञान को स्थापित करते हुए भारत की ज्ञान परंपरा के साथ AI को जोड़कर देखा।
विशिष्ट वक्ता डॉ० ताराकांत शुक्ल, पूर्व अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, वि०भा०वि०, हजारीबाग ने भारतीय ज्ञान को संस्कृत की सुदीर्घ परंपरा से जोड़कर प्रस्तुत किया। चौदह विद्या एवं चौसठ कलाओं को विस्तारपूर्वक समझाते हुए AI के साथ उसकी संबद्धता सिद्ध की। डॉ० रामप्रिय प्रसाद ने भारतीय ज्ञान परंपरा में आत्मोदय पर बल दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ० कृष्ण कुमार गुप्ता, अध्यक्ष, हिंदी विभाग, वि०भा०वि०, हजारीबाग ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कृत्रिम बुद्धिमता में हो रहे विकास को भारतीय ज्ञान परंपरा के साथ जोड़ा एवं बताया कि वर्तमान में भारतीय ज्ञान परंपरा के साथ कृत्रिम बुद्धिमता के समन्वय से भारत पुनः विश्व गुरु के पद पर आसीन हो सकता है। अतिथियों का स्वागत वक्तव्य डॉ केदार सिंह, मंच संचालन डॉ सुनील कुमार दुबे एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ राजू राम ने किया। व्याख्यानमाला में डॉ नकुल पाण्डेय, डॉ टी एन राय और डॉ गोकुल नारायण दास के साथ विभागीय शोधार्थी एवं द्वितीय तथा चतुर्थ समसत्र के विद्यार्थी उपस्थित थे।