
संवाददाता अनिल दिनेशवर
कहते हैं की यदि आप किसी गरीब के घर में पैदा होते हैं तो ये आपकी गलती नहीं है। यह आपकी किस्मत है। लेकिन यदि आप जीवनभर गरीब बनकर ही रहते हैं तो ये सिर्फ और सिर्फ आपकी गलती है। इंसान चाहे तो मुश्किल से मुश्किल हालातों में भी मेहनत और लगन से आगे बढ़ सकता है। यदि यकीन नहीं तो डीएसपी संतोष पटेल की सक्सेस स्टोरी को देख लीजिए।
डीएसपी संतोष पटेल मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के अजयगढ़ के देवगांव के रहने वाले हैं। उनका बचपन बेहद गरीबी में बीता। मां-बाप मजदूरी कर परिवार का पेट पालते थे। वह एक घास-फूस से बनी झोपड़ी में रहते थे। हालांकि उन्होंने कभी बच्चों की पढ़ाई लिखाई के साथ समझौता नहीं किया। इसका नतीजा ये हुआ कि उनका बेटा डीएसपी बन गया।
संतोष का गांव एक जंगल किनारे था। यहां अधिकतर लोगों की आय का साधन जंगल में होने वाली मजदूरी था। उनके पिता दिन रात मेहनत कर थोड़ा बहुत कमाते थे। वह गर्मी के सीजन में तेंदू पत्ता एकत्रित करते थे। बरसात के सीजन में पेड़ लगाते थे। कभी-कभी शहद भी निकालते थे। उनकी मजदूरी से जितनी भी आय होती थी उसका एक बड़ा हिस्सा बच्चों की पढ़ाई में लगाते थे।
संतोष ने अपनी स्कूल की पढ़ाई सरकारी स्कूल में ही की। उनके पिता को बच्चों को पढ़ाने का बड़ा शौक था। उदाहरण के लिए जब मार्च में परीक्षा खत्म होती थी, तो तुरंत अगली क्लास की किताबें बाजार में उपलब्ध नहीं रहती थी। ऐसे में पिता बेटे के लिए पुरानी किताबे ले आते थे। संतोष बताते हैं कि तब पढ़ाई में मन तो नहीं लगता था, लेकिन कोई और दूसरा रास्ता भी नहीं था।
संतोष को जब किसी इवेंट या पार्टी में जाना होता था तो वह स्कूल ड्रेस में जाया करते थे। जबकि उनके दोस्त नए और अच्छे कपड़े पहनकर आते थे। यह देख उन्हें बुरा भी लगता था। लेकिन उन्होंने सोच लिया था कि मैं गरीब घर में पैदा हुआ हूं, यह भगवान की मर्जी है। इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। लेकिन यदि गरीब ही मर जाऊं तो ये मेरी गलती होगी।
संतोष ने ग्रेजुएशन में बीएससी किया है। वह सेल्फ स्टडी ही करते थे। उन्होंने आज तक कोई कोचिंग नहीं लगाई। उन्होंने ग्रेजुएशन भोपाल से किया है। तब पिता पढ़ाई के पैसे दे दिया करते थे। लेकिन वह पिता पर बोझ नहीं बनना चाहते थे। इसलिए मार्केंटिंग की जॉब करने लगे। यहां नौकरी करते हुए उनका मन पढ़ाई से हट गया। वह रास्ता भटक गए। जल्द घरवालों ने पैसे भेजना भी बंद कर दिए।
संतोष को मजबूरी में घर वापस आना पड़ा। पिता ने बोल दिया कि अब भैंस चराओ, खेत में मेरे साथ काम करो। लेकिन फिर संतोष के अंदर कुछ तो हुआ। वह फिर से जाग गए। 3 अगस्त 2015 को उन्होंने कसम खाई कि जब तक लाल बत्ती वाली गाड़ी में बैठ नहीं जाते, दाढ़ी नहीं बनाएंगे। उनकी लंबी दाढ़ी और संकल्प का लोगों ने खूब मजाक बनाया। लेकिन यह ट्रोलिंग उनके लिए मोटिवेशन का काम करती। वह और कड़ी मेहनत करते।
आखिर 15 महीने की कड़ी मेहनत के बाद वह डीएसपी के लिए चुने गए। वर्तमान में उनकी पोस्टिंग ग्वालियर के खाटीगांव में बतौर डीएसपी है। उनका यह काफी रुतबा है। वे सोशल मीडिया पर भी एक्टिव रहते हैं। यहां अपनी निजी जिंदगी से जुड़े लम्हे साझा करते रहते हैं। इन्हें देख कई युवा प्रेरित भी होते हैं।
संतोष 29 नवंबर 2021 को शादी के बंधन में बंध गए थे। उनकी शादी भी काफी चर्चा में रही। वह देवी पूजन के बाद अपनी दुल्हनिया को साइकिल पर बैठाकर ले गए थे। बाद में देवी पूजन कर उन्होंने दादा-दादी के चबूतरे पर जाकर आशीर्वाद लिया था।