ततारपुर स्थित विराजमान है ढकवासन माता नवरात्रि‍ में होती है विशेष पूजा 500 साल पुराना है मंदिर

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मुंडावर। उपखंड़ के समीपवर्ती गांव ततारपुर में ढकवासन माता का एक ऐसा अनूठा मंदिर है जिसकी स्थापना करीब 500 वर्ष पहले की गई थी।यहां के लोग माता के चरणों में धोक लगाकर ही शुभ कार्य शुरू करते हैं।इन्हें ततारपुर की कुलदेवी भी कहा जाता है। 500 वर्ष से अधिक पुराने मंदिर में नवरात्री के नौ दिनों तक बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।नवरात्रि उत्सव के दौरान माता के भक्त ढकवासन माता के दर्शन-पूजन अराधना करते हैं‌‌‌।यहाँ दिल्ली,कलकत्ता,पटना,इंदौर,महाराष्ट्र,दमन से श्रद्धालु दर्शन,पूजन व मन्नत उतारने के लिए आते हैं।मंदिर में सप्तमी,अष्टमी और नवमी पर आस्था का मेला लगता है।माता के मंदिर के साथ ही हनुमान जी,भैरु बाबा,शिव परिवार भी विराजमान है।मंदिर परिसर में ब्रह्मानंद भारद्वाज पूर्व तहसीलदार द्वारा गेट से लेकर पुरे मंदिर में विशेष विशेष सजावट करवाई गई है।जो श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित कर रही है‌‌। मंदिर के पुजारी भगवानाराम ने बताया नवरात्र में प्रतिदिन माता का विशेष श्रृंगार होता है। माता का स्वर्णाभूषणों से विशेष श्रृंगार किया जाता है। इसके दर्शन के लिए हजारों भक्त प्रतिदिन यहां आते हैं। नवरात्र में विविध अनुष्ठान भी होंगे।वही स्थानीय सरपंच संतोष रविन्द्र यादव ने बताया सप्तमी,अष्टमी और नवमी पर मंदिर में आस्था का मेला लगता है।माता के मंदिर के साथ ही हनुमान जी,भैरु बाबा,शिव परिवार विराजमान है।मंदिर में समस्त ग्रामवासी व शासन-प्रशासन पूरा सहयोग करता है।

रिपोर्ट:- टिंकू सैन ब्यूरो चीफ अलवर

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