पाली। उम्मेद जोया नाडोल (पाली) रिपोर्टर
भारतीय भाषा दिवस के उपलक्ष्य में अखिल भारतीय साहित्य परिषद पाली द्वारा जोधपुर प्रांत प्रचार प्रमुख पवन पाण्डेय के मुख्य आतिथ्य में विचार काव्य गोष्ठी का आयोजन आशापुरा नगर स्थित पं. विष्णुप्रसाद चतुर्वेदी सभागार में आयोजित किया गया। जिलाध्यक्ष भंवरसिंह राठौड़ चोटिला ने बताया कि गोष्ठी का शुभांरभ कवि श्रीराम वैष्णव कोमल ने सरस्वती वंदना ‘हे मां स्वर दे स्वर दे शब्दों की पावन तुलसी मेरे अधरों पर धरे दे’ प्रस्तुत की। साहित्यकार पवन पाण्डेय ने कवि भरतियार की प्रमुख कविता प्रकाश की सेना उठो उठो रोशनी की सेना अब समय आ गया है अंधकार को भगाओ विश्व में प्रकाश फैलाओ के माध्यम से अपने विचारों को प्रकट किया। 32 भाषाओं के जानकार तमिल कवि भरतियार जिनका वास्तविक नाम चिन्नास्वामी सुब्रह्मण्यम भारती है, के जन्मदिवस को भारतीय भाषा दिवस के रुप में मनाया जा रहा है। युगदृष्टा भारती ने देश की विभिन्न संस्कृतियों भाषाओं को जोड़ने का कार्य किया। भाषा संस्कृति को सीखने की आवश्यकता नहीं होती है वह तो जन्मजात व्यक्ति और समाज की पहचान कराने के मुख्य घटक है। माँ, मातृभूमि, मातृभाषा सभी को प्रिय है। बालक के मानसिक, बौद्धिक एवं व्यक्तित्व विकास में मातृभाषा प्रमुख होती है। कवि नाथूसिंह राजपुरोहित मनवा ने क्यों करें नर काम वे ज्यों सूं लाजे जात एवं श्रम श्रम री महिमा। श्रीराम वैष्णव कोमल ने ऊँची नींची टेढ़ी मेढ़ी पगडंडियों पे चलना आदत नहीं है मेरी मुझसे मेरी मंजिल के बीच का है पथ चलते चलना है मुझे जीवन के अंतिम पड़ाव तक कविता प्रस्तुत की। कवि प्रवीण त्रिवेदी वंदे त्वां भूदेवी आर्य मातरम् जयतु जयतु पद युगलन ते निरंतरम् संस्कृत में गीत प्रस्तुत की। कवि दिलीप बच्चानी ने सिंधी भाषा में उतारन ऐ चढ़ावन जी कहानी आहे सीधी सादी जिंदगी बेस्वाद बेमानी आहे। गोष्ठी का संचालन कवि मनीष कुमार अनैतिक ने किया।