
नरेश सोनी
ब्यूरो चीफ हजारीबाग।
राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय पाठशाला नहीं बना गौशाला।
विद्यालय का शौचालय बना जंगल, भूत वाले मूवी बनाने के लिए स्पेशल जगह।
स्कूल कैंपस में 6 मंथ पहले निर्मित रसोईया सेड ध्वस्त।
हजारीबाग/दारू: ग्रामीणों ने लगाया आरोप दारू प्रखंड क्षेत्र के पुनाई पंचायत के ग्राम बसरिया राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय में बच्चों की संख्या दिन प्रतिदिन घटती जा रही है। विद्यालय की शुरुआत 2001 से लेकर के 2004 के बीच में किया था । प्रारंभ में बच्चों की संख्या डेढ़ सौ प्लस विद्यार्थी थी। आज स्थिति चौंकाने योग्य हो गई है। बच्चों की संख्या दिन प्रतिदिन घटकर 20 से 30 रह गया है। बच्चे पढ़ाई छोड़ खेल कूद में व्यस्त रहते हैं । और शौचालय के लिए बाहर खेत खलिहानों में जाते हैं। बाथरूम जाने के कर्म में बच्चों में किसी कारण आपसी विवाद होने पर मारपीट और ब्लेड चलाने जैसे समस्या सामने आ जाती हैं। बताना चाहूंगा ग्रामीणों ने बताया की विद्यालय का बाथरूम पूरी तरह से जंगल में परिवर्तन हो गया है। बसरिया राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय भूत वाले विजुअल या शूटिंग के लिए एक अच्छा साधन/ स्थान है। बताना चाहूंगा स्कूल की नीव 2001 से 2004 के बीच में रखी गई थी । जो आज भी स्कूल अपने स्तंभ पर बरकरार बना है । पर पिछले 15 सालों के बीच में स्कूल कैंपस में तीन अन्य भावनाओं का निर्माण कराया गया । और विद्यालय को पांचवी कक्षा से बढ़कर आठवीं कक्षा तक अपग्रेड कर दिया गया। ग्रामीणों ने बताया की विद्यालय की स्थिति दयनीय हो गई है। और बच्चों की संख्या डेढ़ सौ से घटकर 25 से 30 रह गई है। शिक्षा के लिए बच्चे स्कूल जाते हैं, पर उचित शिक्षा न मिलने से बच्चों की संख्या कम हो गई है । विद्यालय में लुंदरू और बसरिया दोनों ग्रामीणों के बीच में से निर्मित है और यहां बच्चों की संख्या लम सम 300 प्लस है। पूर्व 6 माह रसोईया सेड का निर्माण कराया गया। अनुमान लगाया जाता है 19 से 22 लख राशि की लागत से बनाई गई है । जो नव निर्मित रसोईया सेड 6 माह के भीतर ही भूमि दोज होने लगी है। इस संबंध में पूर्व रसोईया सेड निर्माण कार्य अधीन में उपयोग समार्गी जैसे रेत के जगह मिट्टी में निम्न गुणवत्ता वाले सीमेंट का उपयोग कर निर्माण कम सरिया और गंदे किस्म की कंक्रीट का इस्तेमाल कर बनाया गया की ख़बर काफी सुर्खियों में थी। पर उसपर किसी प्रकार का कोई कार्रवाई नहीं किया गया। विद्यालय के अध्यक्ष और पारा टीचर सह प्रधानाचार्य और सहायक टीचर सभी स्थानीय ही है। विद्यालय में प्राइमरी टीचर ना होने के कारण विद्यालय बंद होने के कगार पर है और पाठशाला के जगह पशु साला के रूप में परिवर्तन होने के कगार पर है।