
वाराणसी में नौकरी से निकाले गए शिक्षक पहुंचे DM दरबार, जाँच की मांग
Indian tv news /ब्यूरो चीफ. करन भास्कर चन्दौली उत्तर प्रदेश
चन्दौली वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के श्री अग्रसेन कन्या पीजी कॉलेज से निकाले गए शिक्षक रोजगार के लिए लड़ाई लड़ रहे है। बीते दो दशकों से अधिक समय से शिक्षण कार्य कर रहे निकाले गए शिक्षकों ने मंगलवार को जिलाधिकारी वाराणसी सत्येंद्र कुमार के कार्यालय पहुंचे प्रबंधकीय शिक्षकों के सेवा समाप्त किए जाने और फीस वसूली में हो रही अनियमितताओं के खिलाफ न्याय की गुहार लगाई है। शिक्षकों ने प्राचार्य और प्रबंधक पर मनमानी, उत्पीड़न, और वित्तीय भ्रष्टाचार जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।शिक्षकों के प्रतिनिधि मंडल ने जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार दो को एक ज्ञापन सौंपते हुए मांग की है कि कॉलेज में हो रहे वित्तीय अनियमितताओं की जांच की जाए और सेवा से हटाए गए सभी शिक्षकों को पुनः बहाल किया जाए।
ज्ञापन के अनुसार, प्रबंध समिति और प्राचार्य द्वारा कॉलेज में काम कर रहे वरिष्ठ शिक्षकों को पिछले ढाई महीनों से वेतन नहीं दिया गया है। साथ ही, जून के प्रथम सप्ताह में सभी प्रबंधकीय शिक्षकों की सेवा समाप्ति की सूचना व्हाट्सएप के माध्यम से भेज दी गई, जिससे शिक्षकों में भारी असंतोष है और वे मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं।
शिक्षकों ने आरोप लगाया कि—महाविद्यालय द्वारा शासन द्वारा निर्धारित ₹800 परीक्षा शुल्क के स्थान पर छात्राओं से ₹2880 की वसूली की जा रही है।
बीए पाठ्यक्रम की मान्य शुल्क सीमा से अधिक राशि वसूलना भी एक आम चलन बन गया है।
बिना किसी टेंडर प्रक्रिया के एक एजेंसी को लाखों रुपये का भुगतान किया गया और इसके नाम पर छात्राओं से ₹300 सॉफ्टवेयर शुल्क लिया जा रहा है।
महाविद्यालय में प्रयोग की जाने वाली उत्तर पुस्तिकाएं भी बिना टेंडर और मूल लागत से तिगुने मूल्य पर छपवाई जा रही हैं।रही हैं।
प्राचार्य और प्रबंधक द्वारा बीते चार वर्षों में वित्तीय अनियमितताओं और निजी संपत्तियों में असामान्य वृद्धि को लेकर भी जांच की मांग की गई है।
ज्ञापन में यह भी आरोप है कि कॉलेज को मिले दान और संसाधनों का लाभ छात्राओं को नहीं देकर वाणिज्यिक उपयोग में लाया जा रहा है। इससे न केवल शैक्षणिक माहौल प्रभावित हुआ है, बल्कि छात्राओं के नामांकन में भी गिरावट दर्ज की गई है, जिसका दोष शिक्षकों पर मढ़ा जा रहा है।
रजिस्टर्ड डाक से भेजी गई थी नोटिस
पीजी कॉलेज के प्रबंध समिति के
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वाराणसी में नौकरी से निकाले गए शिक्षक पहुंचे DM दरबार, जाँच की मांग
श्री अग्रसेन कन्या पीजी कॉलेज से सेवा समाप्ति के बाद शिक्षकों ने लगाया छात्राओं से मनमानी फीस वसूली का आरोप
By Bhadaini Mirror Jun 17, 2025, 16:12 IST
Agrasen PG
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वाराणसी,भदैनी मिरर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के श्री अग्रसेन कन्या पीजी कॉलेज से निकाले गए शिक्षक रोजगार के लिए लड़ाई लड़ रहे है। बीते दो दशकों से अधिक समय से शिक्षण कार्य कर रहे निकाले गए शिक्षकों ने मंगलवार को जिलाधिकारी वाराणसी सत्येंद्र कुमार के कार्यालय पहुंचे प्रबंधकीय शिक्षकों के सेवा समाप्त किए जाने और फीस वसूली में हो रही अनियमितताओं के खिलाफ न्याय की गुहार लगाई है। शिक्षकों ने प्राचार्य और प्रबंधक पर मनमानी, उत्पीड़न, और वित्तीय भ्रष्टाचार जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।
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शिक्षकों के प्रतिनिधि मंडल ने जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार दो को एक ज्ञापन सौंपते हुए मांग की है कि कॉलेज में हो रहे वित्तीय अनियमितताओं की जांच की जाए और सेवा से हटाए गए सभी शिक्षकों को पुनः बहाल किया जाए।
ज्ञापन के अनुसार, प्रबंध समिति और प्राचार्य द्वारा कॉलेज में काम कर रहे वरिष्ठ शिक्षकों को पिछले ढाई महीनों से वेतन नहीं दिया गया है। साथ ही, जून के प्रथम सप्ताह में सभी प्रबंधकीय शिक्षकों की सेवा समाप्ति की सूचना व्हाट्सएप के माध्यम से भेज दी गई, जिससे शिक्षकों में भारी असंतोष है और वे मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं।
शिक्षकों ने आरोप लगाया कि—
महाविद्यालय द्वारा शासन द्वारा निर्धारित ₹800 परीक्षा शुल्क के स्थान पर छात्राओं से ₹2880 की वसूली की जा रही है।
बीए पाठ्यक्रम की मान्य शुल्क सीमा से अधिक राशि वसूलना भी एक आम चलन बन गया है।
बिना किसी टेंडर प्रक्रिया के एक एजेंसी को लाखों रुपये का भुगतान किया गया और इसके नाम पर छात्राओं से ₹300 सॉफ्टवेयर शुल्क लिया जा रहा है।महाविद्यालय में प्रयोग की जाने वाली उत्तर पुस्तिकाएं भी बिना टेंडर और मूल लागत से तिगुने मूल्य पर छपवाई जा रही हैं।
प्राचार्य और प्रबंधक द्वारा बीते चार वर्षों में वित्तीय अनियमितताओं और निजी संपत्तियों में असामान्य वृद्धि को लेकर भी जांच की मांग की गई है।
ज्ञापन में यह भी आरोप है कि कॉलेज को मिले दान और संसाधनों का लाभ छात्राओं को नहीं देकर वाणिज्यिक उपयोग में लाया जा रहा है। इससे न केवल शैक्षणिक माहौल प्रभावित हुआ है, बल्कि छात्राओं के नामांकन में भी गिरावट दर्ज की गई है, जिसका दोष शिक्षकों पर मढ़ा जा रहा है।
रजिस्टर्ड डाक से भेजी गई थी नोटिस
पीजी कॉलेज के प्रबंध समिति के अध्यक्ष दीपक अग्रवाल, प्रबंधक डॉ. मधु अग्रवाल, सीए श्रीनारायण अग्रवाल, वित्त मंत्री गौरव अग्रवाल, अरविंद सिकारिया और प्राचार्य प्रो. मिथिलेश सिंह ने पिछले दिनों प्रेसवार्ता की।
कॉलेज प्रबंधन ने बताया कि 40 शिक्षक-कर्मचारियों को नहीं बल्कि 16 लोगो को हटाया गया है। यह 16 शिक्षक स्थायी नियुक्ति होने तक अस्थायी रूप से कार्यरत थे और उन्हें प्रबंधकीय निर्णय के तहत कार्यमुक्त किया गया है। इसके अलावा 9 तृतीय श्रेणी कर्मचारी जिन्हें कंप्यूटर ज्ञान की कमी और कार्य में लापरवाही के चलते हटाया गया। 4 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जिन्हें इस श्रेणी में संख्या अधिक होने के कारण कार्यमुक्त किया गया। प्रबंधक डॉ. मधु अग्रवाल ने बताया कि सभी कर्मचारियों को रजिस्टर्ड डाक द्वारा सूचना भेजी गई थी, जिसे कई लोगों ने स्वीकार करने से मना कर दिया और पत्र वापस लौट आया।