
[ परिषदीय विद्यालयों मैं सरकारी धन का हो रहा बंदरबांट
परिषदीय विद्यालयों में एसएमसी अध्यक्ष का पुतला बनाकर प्रधानाध्यापक और सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा सरकारी धन की की जाती है लूट घु सूट
केंद्र और राज्य सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी परिषदीय स्कूलों का समुचित विकास संभव होते दूर-दूर तक नहीं दिखाई दे रहा एक और सरकार द्वारा परिषदीय स्कूलों के विकास और व्यवस्थाओं के लिए अरबों खरबों रुपए हर वर्ष खर्च किए जाते हैं और शायद यही रुपया स्कूलों में समुचित रूप से लगाकर विकास और व्यवस्थाएं की जाए तो निश्चित रूप से ही स्कूलों की दशा और दिशा बदलते देर नहीं लगेगी लेकिन ऐसा होगा कहां से क्योंकि स्कूल के ही अधिकारी और प्रधानाध्यापक अपने विकास के आगे शायद स्कूल के विकास और व्यवस्था की याद भी न रहती होगी परिषदीय स्कूलों मैं विकास और व्यवस्थाओं के लिए सरकार द्वारा जो धन दिया जाता है वह प्रबंध समिति अध्यक्ष और प्रधानाध्यापक के संयुक्त खाते में आया करता है और इसी कारण से स्कूल में प्रधानाध्यापक और शिक्षकों द्वारा हमेशा ऐसा अध्यक्ष बनाया जाता है जिसे विद्यालय के संदर्भ में कोई जानकारी ना हो प्रधानाध्यापक और शिक्षकों को सही या गलत पर कुछ कह ना सके शिक्षा से बिल्कुल अनभिज्ञ हो या टेढ़ा मेढ़ा अपना हस्ताक्षर बना लेता हो और स्कूल की गतिविधियों पर गांव या अधिकारियों से ना कुछ कह सके और ना ही कहीं शिकायत कर सकें सरकार द्वारा परिषदीय स्कूलों में अध्यक्ष की नियुक्ति इस मनसे के साथ शुरुआत की गई थी की स्कूलों का विकास होगा शिक्षक समय से स्कूल आकर बच्चों कि सही पढ़ाई लिखाई कराएंगे तथा छात्रों को मापदंड के अनुरूप सही मिड डे मील का भोजन प्राप्त होगा लेकिन स्कूल के प्रधानाध्यापक और शिक्षकों के द्वारा ऐसा रास्ता निकाला गया की सरकार के आदेश का पालन भी हुआ और अपनी मनमर्जी भी बनी रही परिषदीय विद्यालय में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में न्याय पंचायत संसाधन केंद्र कक्षा कक्ष हेतु फर्नीचर संबंधित बजट 13-12-2019 के आदेश अनुसार चित्रकूट जनपद को 65 करोड़ 99 लाख ₹20000 का बजट सरकार द्वारा जनपद को दिया गया था जो प्रति विद्यालय ₹80000 प्रति विद्यालय की दर से प्रबंध समिति के खाते में प्रेषित की गई थी शासन द्वारा फर्नीचर बनवाने का मापदंड यह था कि एक सेट थ्री सीटर बेंच और डेस्क के फ्रेम एंगल का वजन 51 किलो 800 ग्राम और फिक्सिंग 19 एमएम प्लाई बोर्ड का मानक निर्धारित किया गया था पहाड़ी ब्लाक के नांदी कंपोजिट मैं मानक विहीन फर्नीचर स्कूल के प्रधानाध्यापक और स्टाफ के द्वारा खरीदा गया है स्कूल के प्रबंध समिति के अध्यक्ष संजय मिश्रा द्वारा बताया गया कि परिषदीय स्कूलों में कहने को तो यह रहता है कि परिषदीय स्कूलों का अध्यक्ष और सचिव के द्वारा कार्य कराया जाता है लेकिन ऐसा होता नहीं यहां तो केवल स्कूल के प्रधानाध्यापक और शिक्षकों के द्वारा सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी के अनुरूप कार्य किया जाता है तथा स्कूल के शिक्षकों का भी यही कहना है कि सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी हमारा अधिकारी होता है वह जैसा कहेंगे वैसे ही करेंगे क्योंकि बजट उन्हीं को पास करना है आगे संजय मिश्रा के द्वारा कहा गया कि अगर स्कूल में बनाई गई प्रबंध समिति का कोई मतलब नहीं है तो सरकार द्वारा स्कूलों में प्रबंधक समिति का गठन क्यों कराया गया इनका कहना है परिषदीय स्कूलों में किसी कार्य कराने का आदेश आता है तो आखिरकार समिति के अध्यक्ष को क्यों नहीं जानकारी दी जाती सचिव प्रधानाध्यापक का दायित्व है स्कूल की संपूर्ण जानकारी अध्यक्ष को अवगत कराएं और बिना अध्यक्ष की अनुमति के कोई कार्य ना कराएं लेकिन यहां अध्यक्ष को कोई जानकारी ही नहीं होती और कार्य पूर्ण हो जाते हैं और जब भुगतान करना हुआ तो अध्यक्ष को बुलाकर चेक पर केवल हस्ताक्षर कराए जाते हैं जो सरकार के नियम अनुसार पूर्णता गलत है संजय मिश्रा द्वारा जिले के सभी परिषदीय स्कूलों के प्रबंध समिति के अध्यक्षों से अपील की है कि आप अपने पद की गरिमा को पहचान कर स्कूलों में अपने कर्तव्यों का निर्वाहन करें और आपको सही और गलत का निर्णय लेने का पूर्ण अधिकार है सचिव के कहने पर गलत पर सही की मुहर ना लगाएं अपने पद और गरिमा का ध्यान रखकर अपने अधिकारों को जाने अध्यक्ष द्वारा बताया गया कि स्कूल में सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी और सचिव प्रधानाध्यापक द्वारा छात्रों के ड्रेस मैं भी कटौती की जाती है जिससे छात्रों के ड्रेस एक बार के धुलने में ही बर्बाद हो जाते हैं और 2 महीने मैं चिथड़े चिथड़े हो जाते हैं इन इन लोगों के द्वारा हर वर्ष लाखों रुपए का चूना सरकार को लगाया जाता है और साथ में अधिकारी के मिलीभगत होने से यह लोग बेदाग बने रहते हैं वहीं पूर्व प्रबंध समिति अध्यक्ष सुरेश कुमार का कहना है की फर्नीचर और ड्रेस का 43000 भुगतान इसी कारण से ही 1 वर्ष से शेष पड़ा है संजय मिश्रा ने कहा कि अगर सचिव इंद्रजीत सिंह अपने स्टाफ सहित अपनी गतिविधियों पर सुधार नहीं किया तो मैं इस संदर्भ में जिलाधिकारी को लिखित आवेदन कर इन लोगों के सारे काले कारनामों की जांच कराने की मांग करूंगा इस स्कूल में प्रधानाध्यापक से लेकर शिक्षकों का स्कूल आने जाने का कोई समय निर्धारित नहीं है जब भी संदर्भ में कहा जाता है तो इन लोगों के द्वारा यही जवाब मिलता है कि अभी बच्चे आते नहीं हैं इसी कारण से यह सब हो रहा है इस स्कूल में शासन प्रशासन के नियमों की खुली धज्जियां उड़ाई जाती हैं इसीलिए कहते हैं सैंया भए कोतवाल तो काहे का भय
स्कूल के प्रधानाध्यापक इंद्रजीत सिंह का कहना है कि अगर अध्यक्ष संजय मिश्रा को सही लगे तो कर दें अन्यथा रहने दे आश्चर्य की बात अब यह होती है कि अगर अध्यक्ष द्वारा चेक पर हस्ताक्षर नहीं किया गया तो क्या सचिव इंद्रजीत सिंह द्वारा अपने वेतन से फर्नीचर और ड्रेस का भुगतान किया जाएगा