नरेश सोनी
इंडियन टीवी न्यूज
ब्यूरो चीफ हजारीबाग।
विभावि में प्रारंभ हुआ मूक (MOOC) पर 6 दिवसीय कार्यशाला
कुलपति डॉ चंद्र भूषण शर्मा की बड़ी पहल
मूक (MOOC) भविष्य के भारत में उच्च शिक्षा का आधार होगा: डॉ गौरव सिंह
विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग में शनिवार को ‘मूक (MOOC): डिजाइन एंड डेवलपमेंट’ विषय पर 6 दिवसीय कार्यशाला का आज उद्घाटन गोस्वामी तुलसीदास केंद्रीय पुस्तकालय भवन में किया गया। कार्यशाला का समापन 31 जुलाई को होगा।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर चंद्र भूषण शर्मा के पहल पर उक्त कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। नई शिक्षा नीति 2020 को प्रभावी रूप से विभावि में लागू करने के उद्देश्य से कुलपति ने उक्त कार्यशाला की व्यवस्था करवाई है।
आज के कार्यशाला को संबोधित करते हुए मूक के अखिल भारतीय विशेषज्ञ तथा सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ़ एजुकेशन टेक्नोलॉजी, एनसीईआरटी, नई दिल्ली के डॉ गौरव सिंह ने कहा कि मूक (MOOC) भारत में आने वाले समय में उच्च शिक्षा का आधार होगा। भविष्य में यह कहीं भी कभी भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षण सामग्री की सुलभता सुनिश्चित करेगा। उन्होंने मूक के संबंध में विस्तार से जानकारी दी तथा यह भी बताया कि स्वयं (SWAYAM) प्लेटफार्म पर मूक पाठ्यक्रमों को कैसे अपलोड किया जा सकता है।
ज्ञात हो कि डॉ गौरव सिंह नई शिक्षा नीति 2020 को लागू करने वाले टास्क फोर्स के सक्रिय सदस्य हैं। इन्होंने मूक के लिए अब तक 120 व्याख्यान दिया है तथा स्वयं प्लेटफार्म पर 920 व्याख्यान को कोऑर्डिनेट किया है। इस कार्य के संबंध में इन्हें कई पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं।
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कार्यशाला के कोऑर्डिनेटर डॉ इंद्रजीत कुमार ने कहा कि मूक का तात्पर्य है ‘मैसिव ऑनलाइन ओपन कोर्सेज’। अपने विश्वविद्यालय ने नई शिक्षा नीति 2020 को लागू किया है। इस शिक्षा नीति के अंतर्गत कई प्रकार के ऐसे पाठ्यक्रम शामिल किए गए हैं जिनकी पढ़ाई परंपरागत तरीके से संभव नहीं है। पठन-पाठन के नए तौर तरीकों को समझने के उद्देश्य से मूक अत्यंत कारगर सिद्ध हो सकता है। हाल ही में झारखंड राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम-2025 में इ-लर्निंग तथा ऑनलाइन शिक्षा पर काफी जोर दिया गया है। इस वर्कशाप का आयोजन इसी लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से किया गया है।
वर्तमान में SEC के 16 विषय, कम्युनिकेशन कौशल के दो विषय एवं VAC के तहत ‘अंडरस्टैंडिंग इंडिया’ तथा ‘अवेयरनेस मॉड्यूल्स’ का चयन किया गया है।
डॉ इंद्रजीत कुमार ने आगे कहा कि यदि इन विषयों में मूक विकसित कर लिया जाता है तो इससे तीन प्रकार के लाभ होंगे। पहला लाभ यह होगा कि यह पदोन्नति के लिए वांछित एपीआई अंक प्राप्त करने में सहायक होगा। दूसरा यह किसका मूक प्लेटफार्म पर भी अपना विनोबा भावे विश्वविद्यालय का नाम दर्ज हो जाएगा। सबसे बड़ा फायदा विद्यार्थियों को होगा। इन्हें नए कौशल सीखने तथा अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा निशुल्क सुलभ होगा।
आज के कार्यशाला में अलग-अलग विषय का दायित्व प्राप्त तथा विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा चयनित 20 शिक्षकों ने भाग लिया। डॉ सादिक रज्जाक को गाइडेंस एवं काउंसलिंग, डॉ सरोज सिंह को डिजास्टर मैनेजमेंट, डॉ किशोर कुमार गुप्ता को बायोफर्टिलाइजर एवं ऑर्गेनिक फार्मिंग, डॉ अविनाश कुमार को मशरूम कलर एवं टेक्नोलॉजी, डॉ उमेंद्र सिंह को फाइनेंशियल लिटरेसी, डॉ सबिता शीतल को पर्सनालिटी डेवलपमेंट, सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर डॉ रंजीत कुमार दास, स्टॉक मार्केट ऑपरेशन पर डॉ निर्मला खेस, आंत्रेप्रेनरशिप पर डॉ सरोज रंजन, साइबर डिफेंस पर डॉ अरुण कुमार मिश्रा, इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी पर डॉ संतोष कुमार सिंह, डिजिटल एजुकेशन पर डॉ संतोष कुमार श्रीवास्तव, फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी पर डॉ कुमार आनंद, डिजिटल मार्केटिंग पर विवेक शर्मा, फूड प्रोसेसिंग एवं बेकरी पर जया सिन्हा, अमानत पर डॉ पंत प्रकाश मेहता ने प्रशिक्षण के लिए कार्यशाला में भाग लिया। यह सभी पाठ्यक्रम तीन क्रेडिट के होंगे।
इसके अलावा क्षमता वृद्धि पाठ्यक्रम तथा संचार कौशल पाठ्यक्रम के लिए अंग्रेजी हेतु डॉ गंगानन्द सिंह तथा हिंदी हेतु डॉ सुनील कुमार दुबे ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। यह दोनों ही पाठ्यक्रम 6-6 क्रेडिट के होंगे।
‘अवेयरनेस माड्यूल’ पर डॉ विनोद रंजन तथा ‘अंडरस्टैंडिंग इंडिया’ के विषय पर डॉ अशोक राम ने कार्यशाला में भाग लिया। यह दोनों ही पाठ्यक्रम दो-दो क्रेडिट के होंगे।