उरई(जालौन):
प्रदेश में मिशन वात्सल्य के अंतर्गत बच्चों का किया जा रहा है संरक्षण एवं पुर्नवासन:
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के हर वर्ग के नागरिकों के लिए सामाजिक एवं आत्मनिर्भर बनाने की योजना लागू कर उनके उज्जवल भविष्य को संवारा है। बालिकाओं, किशोरियों, महिलाओं सहित वृद्धजनों, दिव्यांगजनों, पति की मृत्योपरान्त निराश्रित महिलाओं, अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों, पिछड़ों, गरीबों, श्रमिकों सहित समाज के कमजोर वर्गों को रोजगार के अवसर सहित विभिन्न संचालित योजनाओं से लाभान्वित किया जा रहा है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बच्चों के कल्याण एवं पुनर्वास के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित योजना मिशन वात्सल्य (पूर्व की बाल संरक्षण सेवा योजना) शुरू की है। मिशन वात्सल्य का लक्ष्य भारत के हर बच्चे के लिए एक स्वस्थ एवं खुशहाल बचपन सुनिश्चित करना, उन्हें अपनी पूर्ण क्षमता का पता लगाने के लिए अवसर प्रदान करना, हर क्षेत्र में विकास के लिए सहायता प्रदान करना, उनके लिए ऐसी संवेदनशील, समर्थनकारी और समकालिक ईको-व्यवस्था स्थापित करना है जिसमें उनका पूर्ण विकास हो। इसके साथ ही राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को किशोर न्याय कानून 2015 के अनुरूप सुविधाएं मुहैया कराने तथा सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करना है। मिशन वात्सल्य अंतिम उपाय के रूप में बच्चों के संस्थागतकरण के सिद्धांत के आधार पर कठिन परिस्थितियों में बच्चों की परिवार आधारित गैर-संस्थागत देखभाल को बढ़ावा दिया जाता है।मिशन वात्सल्य के मुख्य कार्यों में संवैधानिक निकायों के कामकाज में सुधार लाना, सेवा प्रदान गैर संस्थागत करने के ढांचे को मजबूत बनाना, संस्थागत देखभाल और सेवाओं के स्तर में वृद्धि करना, समुदाय आधारित देखभाल को प्रोत्साहित करना, आपात स्थिति में पहुंच उपलब्ध कराना, प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण शामिल हैं। मिशन वात्सल्य को केन्द्र द्वारा प्रायोजित योजना के तौर पर केन्द्र तथा राज्यों / केन्द्रशासित प्रदेशों की सरकारों के बीच निर्धारित लागत 60:40 के अनुपात के अनुरूप लागू किया गया है। मिशन वात्सल्य योजना प्रदेश में संचालित है। मिशन वात्सल्य के अन्तर्गत घर से भागे हुये बच्चों, गुमशुदा बच्चों, तस्करी किये गये बच्चों, कामकाजी बच्चों, गली मुहल्लों में रहने वाले, बाल भिखारी, मादक द्रव्यों के सेवन करने वाले बच्चों आदि की देखभाल के लिए राज्य सरकार द्वारा खोले गये आश्रयों में उनका समस्त सुविधाओं सहित विकास किया जा रहा है।किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम के प्राविधानों के अनुसार देखरेख की आवश्यकता एवं संरक्षण तथा विधि विरूद्ध कार्यों में लिप्त बच्चों के संरक्षण, कल्याण, एवं पुनःस्थापन को सुनिश्चित करने, बच्चों के संरक्षण हेतु आधुनिक तकनीक, शिक्षा के बेहतर अवसर, कौशल विकास व रोज़गार से लिंकेज की उच्च स्तरीय सुविधाओं के साथ संस्थाओं का संचालन किया जा रहा है। प्रदेश में कुल 59 राजकीय बाल देख रेख संस्थायें संचालित हैं। प्रदेश में दत्तक ग्रहण के लिये अनाथ, परित्यक्त या अभ्यर्पित बच्चों के पालन-पोषण, देखभाल सहायता हेतु बच्चों को पुनर्वासित किये जाने हेतु प्रदेश के समस्त 75 जनपदों में 75 राजकीय विशेषज्ञ दत्तक ग्रहण अभिकरण का भी संचालन किया जा रहा है। साथ ही पी०पी०पी० माडल के अन्तर्गत स्वैच्छिक संगठनों के सहयोग से जनपद लखनऊ में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए 03 राजकीय एवं 03 स्वैच्छिक संगठन के माध्यम से विशेषीकृत संस्थायें संचालित है। इस योजनान्तर्गत प्रदेश में वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2025-26 में सितंबर 2025 तक कुल 1887 बालकों को दत्तक ग्रहण के माध्यम से पुनर्वासित किया गया है, जिसमें वित्तीय वर्ष 2025-26 में सितंबर 2025 तक कुल 104 बच्चों को दत्तक ग्रहण के माध्यम से पुनर्वासित किया गया है। गत वर्ष से अभी तक 42,776 बच्चों को स्पॉन्सरशिप से तथा 11 बच्चों को फॉस्टर केयर के अंतर्गत लाभान्वित किया गया है। प्रदेश में वर्ष 2017-18 से 2024-25 तथा सितंबर 2025 तक लगभग 1,00,000 से अधिक बच्चों को उनके माता-पिता / अभिभावकों से मिलाया गया। साथ ही विगत वर्षों में इन गृहों से 5,000 से अधिक किशोर-किशोरियों और महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण भी दिया गया है,जिससे वे रोजगार से लग सके।
(अनिल कुमार ओझा ब्यूरो प्रमुख
उरई-जालौन) उत्तर प्रदेश