कटरा श्रावस्ती,
वर्षावास पूजा का शुभारंभ आषाढ़ पूर्णिमा से शुभारंभ हो गया है वर्षावास पूजा का शुभारंभ ओडा झार टीले पर बौद्ध भिक्षु देवेंद्र थेरों यंग बुद्धिस्ट सोसाइटी श्रावस्ती की अध्यक्षता में तथा श्रद्धालोक महा थेरो आनंद बौधि सोसाइटी के मुख्य आतिथ्य में पूजा अर्चना करके शुभारंभ किया गया ।वर्षावास का बौद्धों में विशेष महत्व है। इस दौरान बौद्ध भिक्षुओं को यात्रा करना वर्जित है।

भिक्षु चाहे विश्व के किसी भी कोने में रहे, उन्हें वहीं रहकर बुद्ध के करुणा, शील और त्याग के सिद्धांतों का पूर्णरूपेण पालन करना होता है। अपना सारा समय लोगों की भलाई और तपस्या में लगाना होता है। गौतम बुद्ध ने श्रावस्ती के जंगलों में 25 वर्षावास किया था। बौद्ध भिक्षु भगवान बुद्ध के इसी सिद्धांत का पूरी तरह अनुसरण करने में जुटे हुए हैं। म्यांमार बुद्ध बिहार, जापान-श्रीलंका मंदिर, चाइनीज-वियतनामी मंदिर के तथा महा प्रजापति गौतमी भिछुणी प्रशिक्षण केंद्र बौद्ध भिक्षु वर्षावास मना रहे हैं। पूजा के दौरान बौद्ध भिक्षु श्रद्धालोक महा थेरो ने कहा कि बौद्ध परंम्परा में आषाढ़ मास की पूर्णिमा से वर्षावास अश्विन मास की पूर्णिमा को समाप्त हो जाता है। यह वर्षावास चार मास का बौध भिछुओं की ओर से किया जाता है। इसे चातुर्मास भी कहते हैं। उन्होंने कहा कि इस दौरान बौद्ध भिक्षु एक ही स्थल पर रुक कर अध्ययन व ध्यान साधना करते हैं। बौद्ध परंपरा को मानने वाले देश के बौद्ध मठों में इसका अनुपालन किया जा रहा था। बताते हैं कि भगवान बुद्ध भी इसका कड़ाई से पालन किया करते थे। उन्होंने सबसे ज्यादा 25 वर्षावास श्रावस्ती में व्यतीत किया था। उन्होंने कहा कि वर्षा काल में हरियाली बढ़ती है तथा विभिन्न प्रकार के जीवों का जन्म भी होता है।
ऐसे में भिक्षुओं के विचरण से इन प्राणियों की हिंसा ना हो इसलिए एक है। विचरण से इन प्राणियों की हिंसा ना हो इसलिए एक ही जगह पर रुक कर साधना किया जाता है। वर्तमान संदर्भ में इसे पर्यावरण संरक्षण का धार्मिक, आध्यात्मिक कड़ी माना जा सकता है। वहीं बौद्ध भिक्षु देवेंद्र थेरो ने कहा कि भगवान बुद्ध ओड़ाझार अदृश्य हो गए थे। इसका प्रचलन भगवान बुद्ध के समय से चला आ रहा है। इसीलिए वर्षावास पूजा का शुभारंभ इस टीले से पूजा अर्चना करके किया गया है और दीपो उत्सव भी मनाया गया। भारत, श्रीलंका, म्यांमार, लाओस, थाईलैंड, बांग्लादेश, कंबोडिया, वियतनाम परंपरा को मानने वाले टीवी आज भी मानते हैं। इस मौके पर भंते देवानंद, प्रज्ञा रत्न, शीला नंद, आनंद सागर, धम्म रत्न, , संघपाल,मेघा थेरो, उपासक पवन कुमार सिंह बौद्ध, अशोक शाक्य आदि उपासक मौजूद रहे।
शिवा जायसवाल
जिला संवाददाता श्रावस्ती।