
दमोह। पं.श्री धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी से संस्कृत सेवीओ की ओचक मुलाकात हुई जिसमें पुजारी पुरोहित कर्मकाण्ड महासंघ दमोह के जिलाध्यक्ष पं.राहुल पाठक मिले एवं संस्कृत संरक्षण एवं संवर्धन संघ के प्रदेश अध्यक्ष पं.राजकुमार दुबे मिले जिसमें श्री दुबे ने अपनी बात रखते हुए पं.श्री धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी से कहा कि संस्कृत सेवी के विषय में जो माननीय मप्र हाईकोर्ट द्वारा निर्णय दिया गया है उस पर शीघ्र संस्कृतसेवी के हित में निर्णय लेते हुए कार्यवाही करने की कृपा करें। विदित है कि मध्यप्रदेश में 40 वर्षो से भर्ती नहीं हुई है जैसे तैसे सन् 2007-08 में संस्कृतसेवी के रूप में लक्ष्मण सींग के तत्कालीन शिक्षा मंत्री रहते हुए समाज में नैतिक सामाजिक संस्कार के हिरासात्मक स्थिति को देखते हुए संस्कृत हित में कदम उठाया गया जो निरंतर समाज में एवं विधालयों में संस्कार देते हुए इन संस्कृत शिक्षकों ने अपने महत्वपूर्ण कार्य एवं अन्य क्षेत्र की नौकरियां भी छोड़ी लेकिन संस्कृत अनुरागी होने के कारण इन्होनें कम वेतन पर संस्कृत शिक्षण कार्य किया लेकिन शासन प्रशासन द्वारा बीच सत्र में निकालकर इन्हें बाहर कर दिया। इसी तारतम्य में शासन प्रशासन के शीर्ष लोगों से निरंतर आयोजन प्रार्थना करते रहे सभी आश्वासन देते रहे एवं मुख्यमंत्री जी ने 12000-300 संविदा शिक्षकों के पदों को घोषित किया और 224 पद ब्लांक स्तर पर केबिनेट में बजट के सहित पारित किये लेकिन संस्कृत के पक्ष में किसी ने भी अभी तक इसका क्रियान्वयन नहीं किया। जब हम लोगोंं को कही कोई न्याय नहीं मिला तो संस्कृत के प्रबृद्ध लोगों के कहने पर न्याय हित में अतिम चरण में न्यायालय की शरण में जाना पड़ा। अत्योंगत्या 20.05.2014 के निर्णय संस्कृत शिक्षकों के हित में हुआ। संस्कृत के पद घोषित होने पर संस्कृतसेवियो ने पैदल यात्राएं की विदित हो समाज शिक्षक एवं नैतिक संस्कार के मूल्यों को आभाव एवं शिक्षा के व्यवसायीकरण के कारण संस्कृत शिक्षक की महती आवश्यकता है। अतः श्रीमान जी है निवेदन है कि संस्कृत सेवी एवं समाज में संस्कार देने हेतु संस्कृत शिक्षकों एवं समाज को संस्कारित करने हेतु न्यायोचित निर्णय दिलाने की बात कहीं।
ब्यूरो चीफ देवेंन्द्र चौबे