
परिक्रमा का पहला पड़ाव कोरौना
संदना।।सीतापुर।।
सीतापुर कोरौना पड़ाव स्थल पर रात्रि विश्राम करने के बाद परिक्रमार्थी दूसरे पड़ाव स्थल हरैया की और बढ़ चले प्रातः चार बजे पहला महंत भरत दास ने डंका बजाया और इसी के साथ आस्था जा भारी जनसैलाब अगले पड़ाव की और बढ़ चला।महंत जे बढ़ते ही हाथी,घोड़ा,पालकी जय कन्हैया लाल की ,हर हर महादेव आदि के जयकारों आए समूचा क्षेत्र गुंजायमान हो उठा।देश के कोने कोने से आये लाखों श्रद्धालु सिर पर अपने सामानों की पोटली लिए इस कदर बढ़ते गये मानो उनमें थकान नाम की कोई चीज नही हो भी तो कैसे संतो का साथ पाकर वे अपने को धन्य मान रहे है।शायद यही वजह है कि परिक्रमा मेले में उत्तर प्रदेश ही नही वरन राजस्थान ,मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़, झारखंड, दिल्ली के आलवा पड़ोसी देशों से आये श्रद्धालु भी शामिल हुए है।मान्यता है कि नैमिषारण्य मिश्रिख क्षेत्र की चौरासी कोसी परिक्रमा एवं तीर्थ में स्नान करने के बाद मनुष्य द्वारा जाने अनजाने में किये गये पाप धुल जाते हैं।और उसे चौरासी लाख यूनियो में जन्म लेने से मुक्ति मिल जाती हैं।चौरासी कोसी परिक्रमा में साधू संतो के आलवा गृहस्थ भी पूर्ण लाभ कमाने के लिए बढ़ चढ़कर शामिल हुए।
पड़ाव स्थल कोरौना का पौराणिक महत्त्व
पड़ाव स्थल कोरौना में भगवन के आने से पड़ा द्वारिकाधीश मंदिर का नाम
भगवान श्री कृष्ण के कुल गुरु महर्षि गर्ग का आश्रम रामगढ़ में महसुई आश्रम था और उसी आश्रम में वो रहते थे अपने कुलगुरु के दर्शन हेतु द्वारिकाधीश यहाँ आये थे ,चूंकि कुलगुरु के आश्रम में वाहन से नही जाया जाता है इसलिए कोरौना में डेरा डालकर यहाँ से पैदल ही गुरु आश्रम गये थे यहाँ पर भगवान श्री कृष्ण साक्षात आये थे इसलिए यहाँ बने मंदिर का नाम द्वारिकाधीश पडा ।
यहां अरुंधती कूप बना है इसका उल्लेख अग्नि पुराण में मिलता है ,यहां पर अहिल्या तालाब भी है ।
यहां पर यज्ञ वाराह कूप है इसका उल्लेख स्कंद पुराण के श्लोक 103 में किया गया है जहाँ पर आज भी परिक्रमार्थी दर्शन करने जाते है लेकिन बात ये है की रास्ता ही नही है।
कोरौना पड़ाव में सुविधाओं का टोटा
सरकारी जमीन पर भी ब्लेट वाले तार और पानी बनी परिक्रमार्थीओं की समस्या
84 कोशीय परिक्रमा में बड़ी दूर दूर से लोग परिक्रमा करने के लिए आते है प्रथम पड़ाव कोरौना में भक्ति का शैलाब देखने को मिला लेकिन लोगों को अपने वाहन पार्क करने की भी जगह नही मिली।क्योंकि हर जगह पर ब्लेट वाले तार लगे है तो कहीं गड्ढ़े है।लेकिन परिक्रमार्थियों ने बताया कि किसी तरह एक दिन कट जायेगा लेकिन बिना पानी के कैसे रहा जायेगा।परिक्रमा पड़ाव पर मोबाइल टॉयलेट नही आए।पड़ाव पर स्थित नलो से पानी मे बालू आ रही थी।श्रद्धालुओं ने बताया कि इस बार पानी के टैंकर भी एक दो ही जगह दिखे पिछली बार जगह जगह पानी के टैंकर थे और मोबाईल टॉयलेट थे इस बार एक भी मोबाइल टॉयलेट नही दिखा।प्रशासन ने इस बार की परिक्रमा में कोई दिलचस्पी नही ली। प्रथम पड़ाव की सड़को पर उजाला की भी ब्यवस्था नही है।
जंगली जानवर के हमले से घायल हुआ श्रद्धालु
मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले से आये चन्द्रसेन ने बताया कि हम पड़ाव से थोड़ी दूरी पर शौच के लिए गए थे।इतने में पीछे से आये जंगली जानवर ने हमारे ऊपर अचानक हमला कर दिया।मैने प्राइवेट हॉस्पिटल से दवाई ले ली है।इस बार की परिक्रमा मेला को प्रशासन ने गंभीरता से नही लिया है।
अनुराग दीक्षित इंडियन टीवी न्यूज़ ब्यूरो चीफ सीतापुर