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सड़को पर अवैध धर्म स्थल

Illegal places of worship on the streets

आदित्य नारायण

देश की राजधानी ही नहीं देशभर में भगवान की आड़ में कब्जे का गोरखधंधा चल रहा है। हमारे देखते ही देखते सड़कों के किनारे मंदिर या दूसरे धार्मिक स्थल खड़े हो चुके हैं और वहां अब पूरे बाजार लगने लगे हैं। पहले कुछ मूर्तियां रखी जाती हैं, फिर वहां छोटा सा मंदिर बनाया जाता है। यह स्थल लोगों की धार्मिक आस्था का केन्द्र बन जाते हैं। फिर मंदिर की आकृति वाला ढांचा खड़ा हो जाता है। फिर धीरे-धीरे उसे भव्य रूप दिया जाता है। फिर दुकानें बनने लगती हैं। इस तरह सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण का खेल चलता है। कोई नहीं यह सोचता कि भगवान की जगह सड़क के किनारे नहीं पवित्र और सुरक्षित स्थान पर होती है। शहरों के बाईपास रोड के मोड़ पर धार्मिक स्थल बना दिए जाते हैं। हालात यह हैं कि राजमार्गों पर मोड़ भी संकरे हो गए हैं और ट्रैफिक जाम की समस्या आम हो गई है। शहरों में जहां कहीं भी सार्वजनिक जमीन खाली पड़ी होती है या व्यावसायिक स्थलों पर सड़कों के किनारे फालतू जगह होगी उसी पर भूमाफिया की गिद्ध दृष्टि पड़ जाती है। यह बात केवल हिन्दुओं के मंदिरों तक ही सीमित नहीं, लगभग सभी धर्म के लोगों द्वारा धार्मिक भावनाओं का फायदा उठाया जाता है। रास्तों और गोलचक्रों पर आप को छोटी-छोटी मस्जिदें और मजारें नजर आ जाएंगी। भारत के संविधान के तहत हर व्यक्ति को धर्म की स्वतंत्रता है। हर कोई अपने तरीके से तब तक धर्म का अभ्यास कर सकता है जब तक कि यह सामाजिक व्यवस्था को नैतिक रूप से परेशान नहीं करता और समाज को सुचारू रूप से चलने में बाधा नहीं डालता लेकिन भारत में धार्मिक व्यवहारों के नाम पर न केवल विकास को अवरुद्ध किया जा रहा है, बल्कि इससे आम लोगों का चलना भी दूभर हो गया है। जब भी इन अवघ्ैध धर्म स्थलों को हटाने की कार्रवाई की जाती है तो तनाव पैदा हो जाता है। रविवार की सुबह-सुबह दिल्ली के भजनपुरा में मंदिर और मजार को भारी सुरक्षा बल की मौजूदगी में हटाया गया। इससे पहले भी दिल्ली में अवैध धर्म स्थलों को हटाया गया तो उस पर जमकर घ्सियासत हुई थी। भजनपुरा में की गई कार्रवाई सड़क को चौड़ा करने के घ्लिए की गई ताकि सहारनपुर हाईवे पर ट्रैफिक सुचारू हो सके। देश की सर्वोच्च अदालत कई बार अपने फैसलों में कह चुकी है कि सार्वजनिक स्थानों पर अवैध धार्मिक स्थलों को हटाया जाना चाहिए। सड़क, फुटपाथ आदि पर अवैध धार्मिक स्थलों का निर्माण भगवान का सम्मान नहीं बल्कि भगवान का अपमान है। सड़क लोगों के चलने के लिए होती है। ईश्वर वहां पर कभी भी अवरोध नहीं पैदा करना चाहते। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि वह ऐसे धार्मिक स्थलों की सूची बनाएं और बताएं कि कौन से धार्मिक स्थल बहुत पुराने हैं, जिन्हें नियमित किया जा सकता है। उन्हें छोड़कर बाकी सब धार्मिक स्थल ढाए जाएं और यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में कोई और अवैध धार्मिक स्थल न बने।घ् पिछले वर्ष दिल्ली हाईकोर्ट ने भी फटकार लगाई थी और कहा था कि एक सभ्य समाज कैसे चलेगा जब सड़कों के बीच में अवैध धार्मिक संरचनाएं बनी हुई हों। तब पुनर्वास कालोनी जहांगीरपुरी में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान काफी तनाव पैदा हो गया था। आज भी हम देखते हैं कि सड़कों के किनारे या सड़कों के बीच शनि महाराज बिठा दिए जाते हैं, जहां राह चलते लोग भी उनसे बचकर निकलते हैं। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और कई राज्य सरकारों ने ऐसे स्थलों को हटाने पर कार्रवाई की है। उत्तराखंड में तो जंगलों में भी अवैध निर्माण का खेल कई सालों से चल रहा है और वहां कई मजारें उभर आई थीं। अब जाकर उत्तराखंड सरकार ने कार्बेट नैशनल पार्क और राजा जी नैशनल पार्क समेत विभिन्न सरकारी जमीनों पर बने अवैध धार्मिक निर्माणों को हटा दिया है। लगभग 250 अवैध मजारों को हटाया गया है और जांच में यह बात सामने आई है कि ज्यादातर मजारों में किसी तरह का कोई मानव अवशेष नहीं मिला है जिससे साफ है कि यह किसी धार्मिक उद्देश्य से नहीं बल्कि कब्जे के लिहाज से बनाई गई थी। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने भी ऐसे कई अवैध धार्मिक स्थलों को हटाया है। कई मुस्लिम देशों में विकास के मार्ग में आड़े आ रही मस्जिदों को हटा दिया जाता है तो कोई शोर नहीं मचता। ऐसा सऊदी अरब समेत कई देशों में देखा गया है वहां सड़कों के विकास या अन्य कई तरह की बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए बड़ी आसानी से धार्मिक स्थल हटा दिए जाते हैं लेकिन भारत में ऐसा करने पर तनाव उत्पन्न हो जाता है। दुनिया में दो ऐसे देश हैं स्लोवाकिया और इस्तोनिया जहां कोई मस्जिद ही नहीं है। भारत में जो लोग शोर-शराबा मचाते हैं वह अन्य देशों की कार्रवाइयों पर आवाज तक नहीं उठाते। बेहतर यही होगा कि भगवान की आड़ में इस गोरखधंधे को रोका जाए ताकि विकास में कोई बाधा उत्पन्न न हो।

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