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स्वामी विवेकानंद जी की यादों को ताजा करने के लिए मनाया जाता है विरासत दिवस

रिपोर्ट कपिल देव शर्मा

खेतड़ी अमेरिका के शिकागो शहर में हुए विश्व धर्म सम्मेलन में हिंदू धर्म की पताका फैला कर जब स्वामी विवेकानंद स्वदेश लौटे तो वह खेतड़ी पधारे ठिकाना खेतड़ी ने उनकी अगवानी के लिए ठिकाना के आखिरी छोर बाबई की सीमा पर स्वामी विवेकानंद जी की अगवानी की अगवानी के लिए स्वयं खेतड़ी नरेश राजा अतीत सिंह जी पहुंचे थे वहां से स्वामी जी को घोड़ा बग्गी में बैठ कर सड़क मार्ग से खेतड़ी लाया गया था रास्ते में ग्राम बाबई में जब स्वामी विवेकानंद पहुंचे ग्राम के गणमान्य व्यक्तियों ने तथा भारी संख्या में ग्राम के नागरिकों ने स्वामी जी का स्वागत किया उस युग पुरुष के दर्शन कर बाबई ग्राम वासी धन्य हो गए वहां से चलकर खेतड़ी में प्रवेश करने पर पेशवाई ग्राउंड में उपस्थित राज दरबारी खेतड़ी के नागरिकों ने तथा अन्य सैकड़ो व्यक्तियों ने स्वामी जी का अभिनंदन स्वागत किया तथा वहां से सीधे उन्हें खेतड़ी के प्रसिद्ध सरोवर पन्ना सागर तालाब पर ले जाया गया यहां स्वामी जी का भावपूर्ण स्वागत व नागरिक अभिनंदन किया गया उस दिवस की रात्रि को खेतड़ी शहर के हर घर मकान दुकान व हर भवन की मुंडेरों पर देसी घी के दीपक जलाए गए पूरा खेतड़ी शहर दीपक की रोशनी से जगमगा उठा स्वामी जी के आगमन से पूरा शहर खुशी से सरोवर था क्षेत्र के प्रसिद्ध इतिहासकार गोविंद राम हरितवाल ने बताया कि स्वामी विवेकानंद जी की यादगार में खेतड़ी के फतेह विलास में रामकृष्ण मिशन स्वामी विवेकानंद स्मृति मंदिर की स्थापना की गई जिसका उद्घाटन राजस्थान के तत्कालीन राज्यपाल डॉक्टर संपूर्णानंद द्वारा नवंबर 1963 में किया गया विवेकानंद स्मृति मंदिर की स्थापना का विचार पहले से चल रहा था इसके संचालन के लिए एक प्रबंध समिति का गठन किया गया था यह प्रबंध समिति दो भागों में थी एक प्रबंध समिति व दूसरी गैर प्रबंध समिति गैर प्रबंधन समिति में जिन सदस्यों को लिया गया उनमें अन्य के साथ बाबई के श्री रामशरण शर्मा एडवोकेट थे जो सन 1959 से 62 तक सदस्य रहे इसके पश्चात इसी गांव के श्री मोहम्मद अली कुरैशी एडवोकेट वर्ष 1975 76 में इस समिति के सदस्य रहे विवेकानंद स्मृति मंदिर का विस्तार किया जाकर अभी इसे अजीत विवेकानंद राष्ट्रीय संग्रहालय बना दिया गया है स्वामी विवेकानंद की इस तीसरी यात्रा को चिरस्मरणीय बनाने के लिए पिछले 13 वर्षों से खेतड़ी के नागरिकों वी राष्ट्रीय संग्रहालय के सौजन्य से विरासत दिवस के रूप में मनाया जा रहा है यह कार्यक्रम देखकर अपने पूर्वजों द्वारा किए गए इस पुनीत कार्य की झलक वर्तमान युवाओं एवं बालकों को आसानी से देखने व समझने का अवसर मिलता है विरासत अवसर दो दिन पूर्व खेतड़ी निजामपुर मोड़ स्थित मूर्ति पर जाकर चिड़ावा के अन्वेषी लेखक व चिंतक महेश आजाद व गोविंद राम हरितवाल मुझे अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

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