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विनोद मानव वर्तमान सरकार व प्रशासन तंत्र के कार्यशैली पर कुछ यूं नाराजगी जताते है

अंजाम तक पहुंचाते हक की जंग नाम मिला मानव,
हाथ में ना कोई और ना कोई बंदुक लेकिन दूसरों को न्याय दिलानें को सदैव तत्पर! करीब छह फीट के लंबे कद वाले इस शख्स के साथ होता है भारतीय संविधान पर अटूट विश्वास अधिकारियों से तथ्यात्मक तरीके से अपनी बात रखने का गज़ब का हौसला और अभिव्यक्ति के आजादी का हथियार! इसके बुते करीब तीन दशक से सामाजिक उत्थान के संघर्ष में सैकड़ों लोगों की लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाया और लोगों ने उन्हें नाम दिया मानव!
बलिया जिला के बेल्थरा रोड तहसील के भीटा भुवारी गांव जैसे अति पिछड़े गांव के निवासी विनोद मानव स्वयं टूटी फूटी व बरसात में टपकती छत के नीचे दिन गुजारते थे अब प्रधानमंत्री आवास योजना से घर बन चुका है किन्तु सरकारी योजनाओं के तहत दूसरों के सर पर छत बनें और इसके लाभ मिलनें में किसी को एक रुपये का घूस न देना पड़े, इसके लिए सदैव वे तत्पर व सक्रिय रहते है! इसके कारण अधिकारियों में भी इनके नाम की गजब की हनक है। अपने गुरु व मानव धर्म प्रवर्तक दिवंगत संत श्री गंगाराम दास जी महाराज के दिशानिर्देश पर स्थानीय न्याय की पुर्नस्थापना हेतु ग्राम न्यायालय की मांग को लेकर अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर सन् ठ2002 से लेकर 2013 तक 12 बार राष्ट्रपति भवन का दरवाज़ा खटखटाया! अब तक तीन बार तो अपने साथियों संग पैदल यात्रा व तीन बार साइकिल यात्रा कर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश व मानवाधिकार आयोग तक यात्राएं निकाली!
दुसरो के लिए संघर्ष करने व बवाल अपने सर लेने की सनक में कई बार विवाद भी झेला किंतुउ विनोद मानव ने कभी हार नही मानी और इनकी पत्नी सावित्री देवी व तीन पु्त्र मुकेश, नितेश,सत्यम् ने भी पूरा साथ दिया और घर की समस्याओें में कभी उन्हें उलझाकर नहीं रखा! पत्नी समेत तीनों पुत्र स्वयं अपनी पढ़ाई खेती बारी और जानवर पालकर पुरी की एवं घर चलाने के खर्च में सामर्थ्यनुसार सहभागिता करते है! दूसरों के लिए संघर्ष के लिए सदैव तत्पर विनोद मानव को लोगों ने ही नाम दिया “मानव जी” का उपनाम दिया! वही मानव ने भी दसरों की आवाज बनने को ही जिंदगी का लक्ष्य मान सदैव लाल गमछा को कंधे पर कफन के रुप में रखते है और किसी से भी न्याय के लिए टकरानें से पीछे नहीं हटते!
गरीब किसान स्व. जित्तू यादव के चार पुत्रों में दूसरे नंबर के विनोद मानव ने अपने 48 वर्ष की अवस्था में ही तीन दशक से अधिक समय से दूसरों के लिए ही संघर्ष किया! 1987 में मिड़िल स्कूल सीयर बेल्थरा रोड में कक्षा सात की पढ़ाई के 3.75 रुपये के बजाय चार रुपये फीस वसूली का जमकर विरोध किया तो स्कूल में भी मानिटर से लेकर शिक्षक तक का कोपभाजन झेलना पड़ा व भ्रष्टाचार पर बोलने पर नाम कटा और आगे की कक्षा आठ की एक साल की पढ़ाई अन्यत्र करनी पड़ी ! बावजूद आज भी विनोद मानव का भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष जारी है! वर्ष 1993 में पहली बार मानव ने बेल्थरा रोड तहसील में 21 किलोमीटर के सबसे लंबे जर्जर सड़क सीयर- चरोंवां-कसेसर मार्ग के निर्माण के लिए साथियों के पद यात्रा में सहभागिता दी! इसके बाद तो कई संघर्षो की अगुवाई स्वयं किया व अंजाम तक पहुंचाया !
ब्लाक, तहसील, थाना व अस्पताल में व्याप्त भ्रष्टाचार की आवाज बुलंद की तो अधिकारियों ने हर संघर्ष को गम्भीरता से लिया! 2006 में विधवा, वृध्दा व विकलांग प्रमाण पत्र के लिए अभियान चलाकर सैकड़ो फार्म एसडीएम को सौंपा और लोगों को इसका लाभ मिला! रसोई गैस की कालाबाजारी से लेकर सामाजिक समरसता तक के लिए आवाज बुलंद की और पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की धमकी भी झेला! वहीं 1998 में बेल्थरा रोड तहसील के बनकटवां चट्टीपर ग्रामीणों व साथियों के साथ मिलकर क्रमिक अनशन व आमरण अनशन के माध्यम से बसनही पर पुल निर्माण के लिए संघर्ष किया जिसके फल स्वरुप पुल निर्माण का मार्ग प्रस्शत हुआ उसी दौरान एक महिला का तहसील से जाति, आय व निवास बनवाने के लिए हो रहे 50 रुपये की अवैध वसूली को लेकर तहसीलदार से ही भिड़ गये! इसके कारण उन्हें अपने साथियों संग पहली बार तीन दिनों के लिए जेल जाना पड़ा! इसके बाद समान शिक्षा की मांग को लेकर राजधानी दिल्ली सहीत विभिन्न प्रान्तों मे दर्जनों बार गिरफ्तारी हुई व रिहाई हुई! फिर तिरनई निवासी रमेश पटेल हत्याकांड के खुलासा को लेकर भी लम्बा आन्दोलन किया और जनसभा, विरोध प्रदर्शन, क्रमिक अनशन से लेकर आमरण अनशन तक का सफल संचालन किया और न्यायालय का मदद लेते हुए मृतक के संदिग्ध हत्याकांड के खुलासा हेतु मामले में पुलिस को मुकदमा दर्ज करने को विवश कर दिया! वर्तमान समय में समान शिक्षा संघर्ष मोर्चा के बैनर तले देश में एक समान शिक्षा निति लागु करने के संघर्ष में साथियों संग लगे हुए हैं! अभी भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम “आर या पार” 2023-24 को लेकर संघर्ष जारी है देखना है अंजाम क्या होता है।

विनोद मानव वर्तमान सरकार व प्रशासन तंत्र के कार्यशैली पर कुछ यूं नाराजगी जताते है!
“जी रहें है किस तरह हम यार आजादी के बाद,
रहनुमा क्यूं हो गये विमार आजादी के बाद…….
प्रस्तुति सुधीर कुमार ठाकुर

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