देव संस्कृति के निर्माता यज्ञ पिता- गायत्री माता.
उरई(जालौन) राष्ट्र जागरण 108 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ के देवपूजन में आदरणीय डा. चिन्मय पाण्ड्या ने राजकीय इण्टर कालेज स्थित यज्ञस्थल पर निर्मित गुरुजी और माताजी की समाधि स्थल के दर्शन एवं झंडा रोहण के उपरान्त देवपूजन के दौरान विशेष उद्बोधन में कहा जालौन की धरती, जो आध्यात्मिकता और वीरता की अनगिनत गाथाओं का साक्षी रही है, आज एक बार फिर राष्ट्र जागरण के यज्ञ में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इसी पावन भूमि पर आयोजित गायत्री महायज्ञ से आज संपूर्ण जनमानस में एक नई चेतना का संचार हो रहा है। अखिल विश्व गायत्री परिवार के युवा प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति, डॉ. चिन्मय पंड्या जी, अपने तीन दिवसीय प्रवास के अंतिम चरण में आज जालौन उत्तर प्रदेश के उरई में आयोजित इस विराट महायज्ञ में पहुंचे। अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में आदरणीय डॉ. पण्ड्या जी ने कहा, “यज्ञशाला की पावन भूमि जहाँ गायत्री महायज्ञ का पुनीत कार्य हो रहा है और हम सभी की उपस्थिति यहां किसी सौभाग्य से कम नहीं है।आज के व्यक्ति के अंदर इतनी समस्याएं हैं, इतना ज्यादा असंतोष हो गया है कि उसे दर दर भटकना पड़ता है। ऊपर वाले ने हमें हीरा बनाकर भेजा है, लेकिन मनुष्य कंकड़ बनकर बैठा है। यज्ञ हमें यही याद दिलाता है कि मनुष्य का जीवन अपरिमित संभावनाओं को लेकर आया है लेकिन हम पत्थर बनकर बैठे हैं। यदि पत्थर बनकर बैठना ही है, तो नींव का पत्थर बनें, पारस का पत्थर बनें, मील का पत्थर बनें, या नहीं तो गुरुदेव एवं माताजी के युग निर्माण योजना की नींव का पत्थर बनें।” देव पूजन इस आलौकित कार्यक्रम में हजारों गायत्री परिजन एवं प्रबुद्धजन राष्ट्र के नवनिर्माण के लिए संकल्पित हुए। इस अवसर पर जालौन के जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय को डॉ चिन्मय पंड्या जी ने परम पूज्य गुरुदेव का साहित्य भेंट किया। इससे पूर्व उन्होंने गोहद एवं उरई स्थित गायत्री शक्तिपीठ पहुंचकर माँ गायत्री का पूजन किया और परिजनों से भेंट की, साथ ही उरई शक्तिपीठ में नवनिर्मित साधना कक्ष का लोकार्पण किया।
(अनिल कुमार ओझा ब्यूरो प्रमुख उरई-जालौन)उ.प्र.