राजस्व देने के मामले में राज्य में दूसरे नंबर पर सोनभद्र का नाम आता है। ओबरा तहसील क्षेत्र में बड़े पैमाने पर खनन होता है। अगर खनन विभाग पूरी ईमानदारी से कार्य करे तो राजस्व के मामले में नंबर 1 बन सकता है जिला सोनभद्र। खनन विभाग की नाकामियों से सरकार को बड़े हिस्से के रूप में राजस्व की बड़ी क्षति पहुंच रही है। ओबरा खनन क्षेत्र यूं तो अवैध खनन को लेकर बदनाम है।
लेकिन अब अवैध परिवहन को लेकर भी इस समय चर्चा जोरों पर है। बिल्ली जक्शन से मालगाड़ी पर लादकर इसे कही और भेजा जाता है। इसका बाकायदा ठेका होता है। माल इक्कठा करके इसे बड़े पैमाने में बेचा जाता है। जिसमे मानक को दरकिनार कर डंप की जा रही है गिट्टी। बिल्ली रेलवे स्टेशन के पास डम्प किए जा रहे गिट्टी को ले जा रही वाहन मानक के विपरीत ओवरलोड लोड होती है। बहुत से वाहनों में माइन टेग भी नहीं होता है। परमिट को लेकर भी बहुत बड़ा खेल खेला जा रहा है। बिना किसी की परवाह करते हुए बेधड़क होकर अवैध परिवहन में वाहन स्वामी और चालक लगे हुए। जिससे मानक अनुरूप बनाए गए सड़क में त्रुटि होने की पूरी संभावना है करोड़ों रुपए से बनाये जाने वाले रोड पर
टन के हिसाब से मानक तय किये जाते है। जब मानक के विपरीत वाहनों का संचालन ओवरलोड होगा तो रोड खराब तो होगी ही। जिससे राज्य सरकार को रोड की रखरखाव में और ज्यादा रुपये खर्च करने पड़ेंगे।
वहीं खनन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों से अवैध परिवहन और ओवरलोड के विषय में जानना चाहा तो उन्होंने गोलमोल जवाब देकर जांच टीम भेजने की बात कहिए। लेकिन जांच टीम कब आएगी, कब जांच करेगी इसका पता तो खनन विभाग ही जाने। तब तक कई हजार टन गिट्टियों का अवैध परिवहन करके स्टॉक किया जा चुका होगा।