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जानिए क्या है शिवरात्रि की प्राचीन एवं ऐतिहासिक कहानी*

राजगढ़ ब्यूरो चीफ संतोष गोस्वामी

ये तो सर्वविदित है कि स्वयम्भू महादेव सम्पूर्ण विश्व जगत के स्वामी है। भारत मे महादेव के आधार स्वरूप 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित है। 12 ज्योतिर्लिंगो के 24 अंश भी इसी धरा भूमि भारत मे उपस्थित है,,

जिनमे से 1अंश मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ नगर में *बड़ा महादेव* के नाम से प्रसिद्ध है। ऐतिहासिक प्रसिद्ध बड़े महादेव एक पहाड़ी पर स्थित है,,जो कि *बाबा बैजनाथ* के स्वरूप में ज्योतिर्लिंग गर्भ ग्रह में स्थापित है। जो कि काफी शक्तिशाली, प्राचीन, ओर सिद्ध अवस्था मे गर्व ग्रह में शिवलिंग के स्वरूप में आज भी विराजमान है।

नरसिंहगढ़ नगर के बड़े महादेव मंदिर प्रांगण जिसका भूभाग काफी बड़ा है और विशालकाय हैं,,जिसमे कि एक भवन पहाड़ी पर निर्मित है, ऐसा बताते है कि वास्तु शास्त्र के अनुसार ज्योतिर्लिंग एवं मंदिर प्रांगण को दिशाओं के साथ ताल मेल कर सजाया गया हैं,, दूसरी एवं मुख्य बात इस मंदिर की यह है कि प्रकृति द्वारा प्रदत्त 2 झरने भी *माँ गंगा* पहाड़ी पर कुंड में रूप में उपलब्ध है जिनमें पानी 12 महीने रहता है याने की पहाड़ियों पर गर्मियों के दिनों में 38 डिग्री तापमान में भी पानी रहना और तो ओर पानी की मुख्य विशेषता है कि यह पानी मिनरल वाटर ओर RO वाटर को भी मात देता है एवं मनुष्य की पाचन शक्ति को मजबूत भी बनाता है। कई सारी जल संस्थाओं में शोधकर्ताओं के माध्यम से शोधन कार्य भी किया जा रहा है। मंदिर की चारों दिशाओं में हिन्दू संस्कृति के देवी देवताओं के प्राचीन मंदिर भी स्थापित हैं। जिसमे शनि मंदिर काफ़ी प्रसिद्ध है।

*शिवरात्रि की प्राचीन एवं ऐतिहासिक कहानी* (महारात्रि) का रहस्य। जो कि बुजुर्गो के द्वारा सुनाई ओर कही गई हैं। जिसके कुछ अन्चुहे क़िस्से में आपके साथ साझा करना चाहता हूँ। बात है बड़े महादेव के शिव मंदिर की ओर दिन है शिव रात्रि का समय था शून्य काल रात्रि का जब प्रांगण में भजन सँध्या ओर शिव विवाह के कार्यक्रम विधि विधान पूर्वक सम्पन्न किये जा रहे हैं। मंदिर में भजनों की सुमधुर ध्वनि तरंगों के माध्यम से पूरे पहाड़ में गूँज रही थी मानो पूरा पहाड़ शिव रात्रि महारात्री के पर्व में झूम रहा हो। बुज़ुर्ग बताते है कि शिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण का विशेष महत्व होता हैं और पहाड़ी पर जागरण करने से शिव जी की रहस्यमयी घटनाओं का साक्षी भी बना जा सकता है वो आपकी आस्था, श्रद्धा, इन्द्रियों पर संयम और ईश्वर के प्रति अटूट विश्वास का विषय है। तो उस रात्रि को होता कुछ ऐसा है कि बिना पलकें झपके बुजुर्ग अपनी तपस्या भक्ति में लगे हुए थे काफी समय बीत जाने के बाद ठंडी कोमल हवाओं ने ह्रदय को छुआ मानो कि अचानक से पूरा पहाड़ प्रकाशमई किरणों से सराबोर हो उठा और मानो की स्वर्ण युग के रूप में पूरी पहाड़ी चमक रही हो ये पल क्षणिक भर के लिए अपने दिव्य रूप में प्रतीत हुआ और पल भर में आकाश में कही ग़ायब हो गया हो और सब वैसे ही अपने पुराने स्वरूप में लौटने लगा। मेरी आँखों से आँसूओ की धारा बहने लगी मेरे मन की सभी आकांक्षाये मानो शांत सी हो गयी हो और मन तृप्त सा हो गया हो आनन्दित हो गया और एक अलग सी सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगा और इसी तरह महारात्री के इस दिव्य अवसर का अपने चक्षुओं के माध्यम से साक्षी बनने का अवसर मिला। और बेटा अंकित इस तरह की बातों को किसी को बताया तो नहीं जाता लेकिन मुझे पूरा विस्वास है कि तुम सदा इस बात ध्यान रखोगें।

क्षमा याचना गुरुवर में आज अच्छे मन का भाव लिए ये कहानी आप सभी के समक्ष रख रहा हूँ। इस घटनाक्रम के कोई साक्ष्य या सबूत तो नही है लेकिन ये पूरी तरह आस्था और ईश्वर के प्रति अटूट विश्वास से निर्मित हैं। प्रणाम।

बाबा बैजनाथ धाम नरसिंहगढ़ मध्य प्रदेश

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