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समाज को व्याप्त चुनोतियों के प्रति जागरूक रहने की आवश्यकता है- उल्हास कुलकर्णी

समाज को व्याप्त चुनोतियों के प्रति जागरूक रहने की आवश्यकता है- उल्हास कुलकर्णी

ब्यूरो चिफ इंडियन टीवी न्यूज़
हरि नारायण यादव

(आगर मालवा)
आगर में चल रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ- मालवा प्रांत के 15 दिवसीय संघ शिक्षा वर्ग (सामान्य) व्यवसायी का समापन पर प्रकट कार्यक्रम के साथ हुआ। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कबीर मठ, मथुराखेडी, आगर के महंत डॉ मोहंती साहेब ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में संबोधित करते हुए कहा कि कबीर का सम्पूर्ण जीवन सामाजिक कुरूतियो को नष्ट करने में लगा रहा। कबीर ने सरल भाषा में अपने दोहों के माध्यम से समाज में समन्वय स्थापित करने का प्रयास किया|
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारणी सदस्य श्री उल्हास जी कुलकर्णी ने अपने मुख्य वक्तव्य में कहा कि भारत लम्बे समय पहले मुग़ल बाद में ब्रिटिश शासन के अधीन था| जिसके कारण देश में विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक समस्या उत्पन्न हुई । समाज में जातिवाद, धार्मिक भेदभाव और सामाजिक विघटन व्याप्त थे। इस समय में, भारतीय समाज को एकजुट करने और राष्ट्रीय चेतना को प्रबल करने की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार, जो आरएसएस के संस्थापक थे, एक देशभक्त और स्वतंत्रता सेनानी थे। डॉ हेडगेवार ने बचपन से ही ब्रिटिश शासन का विरोध किया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई। वे हिन्दू समाज की दुर्दशा से अत्यधिक चिंतित थे और समाज को एकजुट करने के प्रयास में लगे थे। उन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त कमजोरियों को दूर करने और राष्ट्रीय पुनर्जागरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक संगठन की परिकल्पना की। इसी सोच के परिणामस्वरूप, 27 सितंबर 1925 को विजयादशमी के दिन नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की गई। तब से आज 99 वर्षो की इस यात्रा में आरएसएस भारतीय संस्कृति और परंपराओं के प्रति सम्मान और गर्व का भाव विकसित करने का प्रयास कर रहा है।
संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरुजी के कार्यकाल में संघ ने विभिन्न सामाजिक और राष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी विचारधारा को स्पष्ट किया। उन्होंने हिंदू समाज को संगठित और सशक्त बनाने के लिए विविध कार्यक्रम और योजनाएं शुरू की। संघ की शाखाओं के माध्यम से, उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों और अंधविश्वासों को दूर करने के लिए कार्य किया। शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वावलंबन के क्षेत्र में संघ ने महत्वपूर्ण काम शुरू किये, जिनसे समाज के पीड़ित, वंचित शोषित को लाभ मिल सके| 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, देश विभाजन और उसके परिणामस्वरूप उत्पन्न समस्याओं ने समाज को विखंडित कर दिया। इस समय, श्री गुरुजी ने संघ के स्वयंसेवकों से आव्हान कर देश की सेवा में जुटने के लिए प्रेरित किया। विभाजन के दौरान हुए हिंसात्मक घटनाओं और शरणार्थी संकट के समय, संघ के स्वयंसेवकों ने राहत कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने शरणार्थियों को आश्रय, भोजन, चिकित्सा सहायता प्रदान की तथा स्वयंसेवकों से आग्रह किया की हमने इस विपत्ति काल में राजनीतिक भूमिका से परहेज करना है| संघ के स्वयंसेवक राष्ट्र प्रथम के भाव के साथ समाज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अग्रणी रहे| स्वंत्रतता पश्चात देश पर जब जब आक्रमन हुए स्वयंसेवक ने अपने प्राण की आहुति दी है, गोवा मुक्ति आन्दोलन, कश्मीर पर कबलाई हमला हो, चीन युद्ध के समय आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था हो कभी भी संघ के स्वयंसेवक ने पीठ नहीं दिखाई है|
आज के समय समाज में व्याप्त चुनोतियो के प्रति समाज को सजग रहने के आवश्यकता है, समाज को तोड़ने वाली विघटनकारी शक्तियों को हमे पहचानना होगा| स्वतंत्रता के इतने वर्षो के पश्चात भी सामाजिक भेदभाव देखने को मिलते है| हमारे पूर्वजो ने अपने कृतित्व से कई उदहारण प्रस्तुत किये है| यह वर्ष लोकमाता अहिल्या देवी का त्रिशताब्दी जयंती वर्ष है, मालवा क्षेत्र में सम्राट विक्रमादित्य के न्याय के दृष्टान्त सुनने को मिलते है, कहते है खेल खेल में गडरिये का बालक गलती से उनके सिहासन पर बैठ गया तो चाह कर भी गलत निर्णय न दे सका| लोकमाता अहिल्या देवी का शासन जिसमें भगवान शिव को साक्षी मनाकर राज्य व्यवस्था सञ्चालन किया जाता था | उन्होंने अपने जीवनकाल हिन्दूओ के मान बिन्दुओ का संरक्षण किया | उनके द्वारा काशी विश्वनाथ मंदिर, सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया गया |

*प्रशिक्षार्थी स्वयंसेवकों ने प्रकट दिवस पर किया दंड युद्ध और संचलन का प्रदर्शन*
संघ के मालवा प्रांत के स्वयंसेवको का संघ शिक्षा वर्ग, सामान्य (व्यवसायी) का प्रशिक्षण 18 मई से सरस्वती शिशु मंदिर, आगर विद्यालय परिसर में चल रहा था। प्रशिक्षण हेतु मालवा प्रांत के अलग-अलग विभागो से 367 प्रशिक्षार्थी स्वयंसेवक 15 दिवसीय संघ शिक्षा वर्ग में प्रशिक्षण के लिए पहुंचे थे। इस दौरान प्रशिक्षार्थी स्वयंसेवकों को 41 शिक्षकों द्वारा शारीरिक प्रशिक्षण के साथ ही बौद्धिक प्रशिक्षण दिया गया। समापन के अवसर पर थाना ग्राउंड पर आयोजित प्रकट कार्यक्रम में स्वयंसेवकों द्वारा निरुद्ध, दंड युद्ध, दंड संचलन, पीरामिड, दंड समता, योग और आसन का प्रदर्शन किया। इस दौरान आगर नगर की आम जनता और गणमान्य नागरिक भी मौजूद रहे।
संघ शिक्षा वर्ग में आए 367 प्रशिक्षार्थी स्वयंसेवकों और 41 शिक्षकों के लिए आगर जिले आसपास ग्रामों से लगातार 15 दिन तक 10 रोटी प्रति पैकेट से अर्थात 12378 परिवारों से रोटी का सहयोग प्राप्त हुआ।

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