
भरूच जिला जंबूसर
जंबूसर बीएपीएस मंदिर में श्रद्धेय सौम्यमूर्ति
स्वामी की मधुर वाणी से कीर्तन पूजन हुआ
श्रीमद्भागवत में नवधा भक्ति का सुन्दर वर्णन किया गया है
है जिसमें कीर्तन भक्ति भी महत्वपूर्ण है। ईश्वर
स्वामीनारायण ने विधवा संतों द्वारा कीर्तन भी कराया
भक्ति भजनों की रचना की गई है। प्रकट गुरुहरि
महंत स्वामी महाराज को भी कीर्तन भक्ति प्रिय है।
जिसके अंतर्गत बीएपीएस मंदिर जंबूसर संतो पूज्य
ज्ञानवीर स्वामी, पूज्य यशोनिलय स्वामी के प्रयासों से
जंबूसर मंदिर में विशेष कीर्तन पूजा होती है
जिसमें पूज्य सौम्यमूर्ति स्वामी ने स्वयं को प्रतिष्ठित किया
भगवान स्वामीनारायण काल के छंद शैली में
खूबसूरती से प्रस्तुत किया गया. जिसमें प्रार्थना, समर्पण,
ईश्वर की छवि क्या है, उससे कैसे जुड़ें?
अस्पष्ट समझ बेकार है, बुजुर्ग
तो यह भी कीर्तन के माध्यम से भक्तों को भक्ति
समझाया यदि संतान के बारे में प्रेम है तो वह भगवद धर्म के बारे में है
पोषण मिलेगा. देवानन्द स्वामी की पौराणिक कथा यही कहती हैभजन लगी अलौकिक लाल ने कहा पूरन प्रीति भजन की गुनगुनाहट। निश्कुलानंद स्वामी के पद भाग्य अमर गेहिया भूदरजी ने योगीबापा के कार्यक्रम टंकी मूर्ति को संगीतमय अंदाज में सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। बड़ी वैराग्य है, सामने भगवान है। इसके फायदे बताते हुए संत भी भक्तों को बेटे की तरह प्यार करते हैं, जैसे मां का दिल बेटे के लिए होता है। इस अवसर पर पूज्य प्रमुख स्वामी महाराज एवं वर्तमान गुरुहरि महन्त स्वामी महाराज के भजनों को सुन्दर शैली में प्रस्तुत कर प्रभु एक पल जाये लाख की सुन्दर व्याख्या करते हुए भजन कीर्तन का सुन्दर लाभ दिया गया। कांतिभाई सोनी, योगेशभाई राय, डॉ.सतीशभाई चौधरी, हितेशभाई अणखी सहित बड़ी संख्या में भाई-बहन पहुंचे।