धम्मचक्क पवत्तन दिवस (धर्मचक्र प्रवर्तन दिवस) –
आषाढ पूर्णिमा के दिन तथागत बुद्ध ने पंचवर्गीय भिक्षुओं को सारनाथ में अपना प्रथम उपदेश दिया था, यह दिन धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस कहलाया। आज से गुरु शिष्य परंपरा शुरू हुई इसलिए आगे चलकर इसे गुरु पूर्णिमा के रूप मे जाना गया।
भारत में बड़े बड़े बौद्ध महाविहार ( यूनिवर्सिटी) बौद्ध राजाओं ने ही बनवाये थे। भारत में लोग विदेशों से शिक्षा लेने आते थे, बुद्ध के कारण ही भारत विश्वगुरु कहलाता था। बौद्ध महाविहार ( यूनिवर्सिटी) में शैक्षणिक वर्ष गुरु पूर्णिमा से शुरू होता था।
वर्तमान भारत में शैक्षणिक वर्ष जुलाई महीने में शुरू होता है, यह प्राचीन बौद्ध परंपरा के कारण ही है। रिपोर्ट रमेश सैनी सहारनपुर