
क्या डेंगू थ्रोम्बोसाइटोपेनिया का कारण है?डॉ. लियाकत अली मंसूरी द्वारा
थ्रोम्बोसाइटोपेनिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें रक्त में प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है। सामान्य रूप से रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या 1.5 लाख से 4 लाख प्रति माइक्रोलीटर होती है। जब प्लेटलेट्स की संख्या बेहद कम हो जाती है, तो यह जानलेवा साबित हो सकता है।
प्लेटलेट्स की कमी के लक्षण
यदि रक्त में प्लेटलेट्स की कमी हो, तो निम्नलिखित लक्षण दिख सकते हैं:
शरीर के किसी भी हिस्से से रक्तस्राव हो सकता है।
त्वचा पर छोटे-छोटे लाल या भूरे-नीले धब्बे बन सकते हैं।
नाक, मुंह, मसूड़े, दिमाग, आंतों, गुदा या योनि से रक्तस्राव हो सकता है।
थकान, कमजोरी, बुखार, पेट दर्द, सिरदर्द, भूख न लगना, उल्टी और दस्त।
मामूली चोट के बाद भी खरोंच के निशान।
प्लेटलेट्स कम होने के कारण
प्लेटलेट्स की कमी के कई कारण हो सकते हैं, जैसे:
डेंगू: डेंगू वायरस बड़ी संख्या में प्लेटलेट्स को नष्ट कर देता है और अस्थि मज्जा को दबा देता है, जिससे प्लेटलेट्स की संख्या घट जाती है।
विटामिन B12 या आयरन की कमी।
अत्यधिक शराब का सेवन।
कुछ गर्भवती महिलाएं, विशेष रूप से प्रे-एक्लेम्पसिया से पीड़ित।
ल्यूकेमिया और अन्य कैंसर, जो अस्थि मज्जा को प्रभावित करते हैं।
एचआईवी, हेपेटाइटिस सी, मोनोन्यूक्लियोसिस जैसी संक्रमण या शरीर में बैक्टीरियल संक्रमण (सेप्सिस)।
कुछ दवाओं का सेवन।
प्लेटलेट्स का कार्य
प्लेटलेट्स छोटे रक्त कण होते हैं जो रक्त के थक्के बनाने में मदद करते हैं। जब इनकी कमी होती है, तो रक्तस्राव शुरू हो जाता है। प्लेटलेट्स अस्थि मज्जा में बनाए जाते हैं और इन्हें थ्रोम्बोसाइट्स भी कहा जाता है।
डेंगू और थ्रोम्बोसाइटोपेनिया
डेंगू बुखार डेंगू वायरस (DENV) के कारण होता है, जो प्लेटलेट्स को नष्ट कर उनकी संख्या में गिरावट लाता है। यह वायरस अस्थि मज्जा को दबा देता है, जिससे प्लेटलेट्स का उत्पादन बाधित होता है।
यूनानी चिकित्सा में थ्रोम्बोसाइटोपेनिया का उपचार
1. ब्लड ट्रांसफ्यूजन: प्लेटलेट्स की कमी होने पर रक्त आधान किया जाता है। इसके साथ ही हरी सब्जियां, आयरन युक्त भोजन, दालें, कद्दू के बीज, पपीता, डेयरी उत्पाद, ओमेगा-3 से भरपूर भोजन, तुलसी, नीम गिलोय, पपीता के पत्ते का रस, बकरी का कच्चा दूध और किशमिश आदि का सेवन करना चाहिए।
2. यूनानी दवाएं: शरबत फौलाद: हीमोग्लोबिन की कमी के लिए। शरबत अंजबार: रक्तस्राव के लिए।
3. कैंसर के मामलों में: हर्बल यूनानी उपचार और प्लेटलेट्स बढ़ाने वाली दवाएं दी जाती हैं।
4. तिल्ली के बढ़ने पर: जब प्लेटलेट्स तिल्ली में फंस या नष्ट हो जाते हैं, तो शरबत तिहाली दी जाती है।
प्लेटलेट्स की जांच के लिए परीक्षण सीबीसी (कंप्लीट ब्लड काउंट)।
बोन मैरो बायोप्सी। डॉ. लियाकत अली मंसूरी (यूनानी चिकित्सक एवं हिजामा थैरेपी विशेषज्ञ)
यूनानी जिला अधिकारी
(जयपुर सिटी) एस.एम.एस. अस्पताल, जयपुर (राज.)
जयपुर से संवाददाता एहसान खान