महाराष्ट्र की राजनीति में हड़कंप मच गया है जब एनसीपी (अजित पवार गुट) के वरिष्ठ नेता बाबा सिद्दीकी की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस घटना ने ना केवल मुंबई बल्कि पूरे राजनीतिक गलियारों को स्तब्ध कर दिया है। सिद्दीकी को तीन गोलियां मारी गईं, जिसके बाद उन्हें गंभीर अवस्था में लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका और उन्होंने अस्पताल में दम तोड़ दिया। घटना मुंबई के बांद्रा खेरवाड़ी सिग्नल के पास की है, जहां बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान सिद्दीकी के दफ्तर के पास उन पर घातक हमला किया गया। बताया जा रहा है कि हमलावरों ने सुनियोजित तरीके से हमला किया और सिद्दीकी पर गोलियां बरसाईं। हमले के बाद सिद्दीकी को गंभीर हालत में तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। घटना के बाद क्षेत्र में तनाव का माहौल है। पुलिस ने इलाके को घेर लिया है और जांच शुरू कर दी है। शुरुआती जांच के अनुसार, इस हत्या के पीछे किसी साजिश की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है। पुलिस द्वारा आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं और हमलावरों की पहचान करने की कोशिश की जा रही है। मुंबई पुलिस के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे और घटना स्थल का निरीक्षण किया।
*राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर*
बाबा सिद्दीकी की हत्या ने महाराष्ट्र की राजनीति में गहरा असर डाला है। उनके निधन की खबर से राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर है। एनसीपी (अजित पवार गुट) के वरिष्ठ नेता और उनके समर्थक सिद्दीकी के निधन से सदमे में हैं। बाबा सिद्दीकी की गिनती पार्टी के प्रमुख नेताओं में होती थी और उनके प्रति लोगों में खासा सम्मान था। पार्टी के प्रमुख नेताओं ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है।
*बाबा सिद्दीकी का राजनीतिक सफर*
बाबा सिद्दीकी, एनसीपी के वरिष्ठ नेता थे और अजित पवार गुट के महत्वपूर्ण चेहरों में शामिल थे। वे राजनीति में काफी सक्रिय थे और जनता के बीच अपनी पहचान बना चुके थे। उनके परिवार में राजनीतिक विरासत र उनके बेटे जीशान सिद्दीकी भी राजनीति में सक्रिय भूमिक
वैध बजरी खनन की नहीं मिल रही मंजूरी निवेशकों को छोड़ा भगवान भरोसे
एसईआईएए’ चेयरमैन का कार्यकाल हुआ पूरा
जयपुर। प्रदेश में बजरी के अवैध खनन पर रोक की कवायद लंबे समय से चल रही है, किन्तु अभी तक इस पर पूरी तरह अमल नहीं हो पा रहा है। वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने बजरी खनन से रोक हटाते हुए सरकार को स्पष्ट आदेशित किया है कि बजरी के वैध खनन की नियमानुसार मंजूरी दी जाए, जिससे कि सरकार के राजस्व में वृद्धि हो और अवैध बजरी खनन को रोका जा सके। बावजूद इसके राज्य सरकार एवं खान विभाग के अधिकारी घोर लापरवाही बरत रहे है और बजरी खनन की मंजूरी नहीं दे रहे है। इसी के चलते राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) में ईसी के लिए आवेदनों का अंबार लगा है।बता दें कि राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण के चेयरमैन का कार्यकाल 11 अक्टूबर को समाप्त हो गया। राज्य सरकार द्वारा नया चेयरमैन लगाने में उदासीनता बरती गई। अभी तक इसका पुर्नगठन नहीं किया गया। विदित रहे कि चेयरमैन की नियुक्ति के लिए राज्य सरकार केंद्र से अनुमति लेकर प्रक्रिया को आगे बढ़ाती है, जिसमें करीब तीन माह का समय लग जाता है। राज्य सरकार ने अभी तक प्रक्रिया ही आरंभ नहीं की है। जिसके चलते निवेशकों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है।
निकाली गई नीलामी हुई असफल
उल्लेखनीय है कि हाल ही में बजरी के लिए निकाली गई नीलामी असफल हो गई, असफल होने का कारण इसकी अधिकतम नीलामी 200 करोड़ रुपए बताया गया। जानकारी के अनुसार राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण में नए चेयरमैन के आगमन का इंतजार हो रहा है। अधिकारी फाइल्स को छेड़ना उचित नहीं समझ रहे है। जिसके कारण प्रदेश के कई जिलों में वैध खनन मंजूरी के लिए आए आवेदनों पर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
राजस्व का हो रहा बड़ा नुकसान
सुप्रीम कोर्ट के निदेर्शों के अनुसार राज्य में बजरी के वैध खनन को नियमित करने और बजरी की अवैध खनन गतिविधियों को रोकने के लिए सिफारिश की। राजस्थान में अवैध बजरी खनन से जहां एक ओर कई समस्याएं खड़ी हो गई, वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार को भी राजस्व नहीं मिलने का बड़ा नुकसान हो रहा है। चूंकि कानूनी रूप से बजरी खनन को नियमित करने के मुद्दे का सरकार पर दबाव है, वहीं सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को राज्य में बजरी खनन से संबंधित प्रस्तावों और इसके लिए परियोजनाओं को मंजूरी देने का निर्देश दिया है। किंतु वास्तविकता यह देखने को मिल रही है कि एसईआईएए के अधिकारी अपने ऊपर कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं दिखाई देते है। सभी अपने हाथ बचा रहे है। जिसके चलते बजरी के वैध खनन की मंजूरी नहीं मिल पा रही है। अधिकारी जान बूझकर प्रस्तावों को मंजूरी देने की प्रक्रिया में देरी कर रहे हैं।
प्राधिकरण अधिकारियों का नहीं मिल रहा सहयोग
हालांकि राज्य सरकार सस्ती बजरी उपलब्ध कराने को लेकर नए पट्टे नीलाम करने की योजना पर कार्य कर रही है, किंतु राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (सिया) के अधिकारी मामले में गंभीरता नहीं दिखा पा रहे है। जिसके कारण राजस्व का भारी नुकसान भी हो रहा है।
जयपुर से संवाददाता एहसान खान