अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग एवं ललित कला विभाग के संयुक्त तत्वाधान में “भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुविषयक रोजगार की संभावनाएं”

अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग एवं ललित कला विभाग के संयुक्त तत्वाधान में “भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुविषयक रोजगार की संभावनाएं” विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया l इस संगोष्ठी कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रयागराज के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष वाणिज्य संकाय प्रो0 जगदीश नारायण रहे l कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो0 आशुतोष सिंहा संकयाध्यक्ष कला एवं मानवकीय ने किया इस एक दिवसीय संगोष्ठी में विशिष्ट वक्ता के रूप में इलाहाबाद विश्वविद्यालय की डॉक्टर सृष्टि पूर्वार्ध ने बताया कि अर्थशास्त्र विषय के साथ-साथ अन्य विषयों जिसमें प्रमुख रूप से ललित कला एवं फैशन डिजाइनिंग के विभिन्न विधाएं सम्मिलित हैं के द्वारा हम भारतीय अर्थव्यवस्था में अपने लिए रोजगार की संभावनाएं तलाश कर सकते हैं उन्होंने बताया कि MSME के द्वारा हस्त निर्मित आकर्षक एवं कलात्मक वस्तुओं के निर्माण से आय एवं रोजगार के उच्च स्तर को प्राप्त किया जा सकता है जिसमें कला की विधा के बाजारीकरण हेतु अर्थव्यवस्था की महत्ता और भी बढ़ जाती है l

विषय पर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रो0 जगदीश नारायण ने बताया कि विभिन्न प्रकार के संदर्भित पाठ कलाओं में अर्थशास्त्र अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है कलाकारों की किसी भी कृति के सृजन के उपरांत उसका उचित मूल्य क्या हो यह हमें अर्थशास्त्र की लागत लाभ विश्लेषण के द्वारा प्राप्त होता है l फाइन आर्ट से संबधित चित्रकला, मूर्ति कला एवं व्यवहारिक कला में रोजगार की संभावनाएं बढ़ रही हैं जिसके लिए आर्थिक प्राचलो का विश्लेषण आवश्यक है एक कलाकार को उसकी अपनी कृति के वास्तविक मूल्य का अनुभव नहीं होता बाजारीकरण के इस दौर में एक अर्थशास्त्री सहायक क्षेत्र में संबंधित क्षेत्र में संबंधित वस्तु के मूल्य निर्धारण में सहायक हो सकता हैl

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो0 आशुतोष सिन्हा ने भारतीय अर्थव्यवस्था में विभिन्न सहायक स्रोतों में रोजगार के अवसर पर प्रकाश डालते हुए यह बताया कि अर्थ व्यवस्था के प्रत्येक क्षेत्र में कलात्मक वस्तुओं का प्रत्येक निर्माण रोजगार के अवसर को बढ़ाता है l

उत्तर प्रदेश उत्तराखंड आर्थिक संघ द्वारा प्रायोजित एक दिवसीय सेमिनार में संयोजक के रूप में प्रो0 विनोद कुमार श्रीवास्तव महासचिव UPUEA ने अतिथियों का स्वागत करते हुए यह बताया कि आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना के साथ कौशल विकास योजना के अंतर्गत ललित कला एवं आर्ट क्राफ्ट आधारित विभिन्न प्रकार की लघु एवं मध्यम आकार की स्थानीय डिजाइनिंग की कलाकृतियां निश्चित रूप से लोगों में रोजगार एवं आय के स्तर को बढ़ा रही हैं आवश्यकता इस बात की है कि उपयोगी सरकारी नीति के द्वारा इसे स्थायित्व प्रदान कर दिया जाए l

ललित कला फाइन आर्ट विभाग की सहायक आचार्य डॉ सरिता द्विवेदी ने बताया कि राम मंदिर निर्माण के साथ ही विभिन्न कलाकृतियों के सृजन से स्थानीय कलाकारों को पर्याप्त रोजगार के अवसर प्राप्त हो रहे हैं सृजित कलाकृतियों को बाजार के अनुरूप मूल्य प्राप्त करने हेतु उसके आर्थिक पहलुओं के विषय में जानकारी देने हेतु कलाकार को शिक्षण एवं प्रशिक्षण की आवश्यकता है ताकि उनकी रामणीक और आकर्षक सृजित कलाकृतियों का उचित मूल्य मिल सके l

इस अवसर पर UPUEA के कार्य परिषद सदस्य डॉ0 प्रिया कुमारी, डॉ0 अलका श्रीवास्तव, डॉ0 सरिता द्विवेदी द्वारा अतिथियों को सम्मान व UPUEA का जनरल दिया गया साथ ही संकायाध्यक्ष कला एवं मानविकीय प्रोफेसर आशुतोष सिंहा द्वारा अतिथियों को अंग वस्त्र भेंट किया गयाl इस अवसर पर मुख्य रूप से फैशन डिजाइनिंग के विभागाध्यक्ष डॉ सुरेंद्र मिश्रा, ललित कला विभाग की सहायक आचार्य रीमा सिंह,संगीत एवं अभिनय काल विभाग की डॉ0 रचना श्रीवास्तव के साथ बड़ी संख्या में छात्र एवं छात्राएं एवं गैर शैक्षणिक कर्मचारी उपस्थित रहे l संगोष्ठी के समापन के उपरांत UPUEA वेबसाइट की संयोजक वह संगोष्ठी की आयोजन सचिव डॉ सरिता द्विवेदी ने आमंत्रित अतिथियों एवं उपस्थित जनसमूह के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया l

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