जनहित एवं लोक कल्याण ही सुशासन का मुख्य उद्देश्य

जनहित एवं लोक कल्याण ही सुशासन का मुख्य उद्देश्य: पूर्व आई.ए.एस. चंद्रहास ब्योहार-
नर्मदापुरम से राजेंद्र धाकड़ की रिपोर्ट-

सुशासन सप्‍ताह अंतर्गत कलेक्ट्रेट कार्यालय में कार्यशाला आयोजित। वर्ष 1996 के तत्कालीन नर्मदापुरम कलेक्टर श्री चंद्रहास ब्योहार ने अधिकारियों को बताई सुशासन की बारीकियां। कलेक्टर कार्यालय के सभा कक्ष में सुशासन सप्ताह के अंतर्गत एक जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में वर्ष 1996 के नर्मदापुरम जिले के पूर्व कलेक्टर और रिटायर्ड आईएएस अधिकारी श्री चंद्रहास ब्योहार ने अधिकारियों को सुशासन के महत्वपूर्ण पहलुओं से अवगत कराया।कार्यशाला की शुरुआत में कलेक्टर सोनिया मीना ने सभा कक्ष में उपस्थित सभी अधिकारियों को श्री ब्योहार से परिचित कराया और उनके कार्यशाला में शामिल होने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने बताया कि रिटायर्ड आईएएस तथा नर्मदापुरम के पूर्व कलेक्टर श्री चंद्रहास ब्योहार वर्ष 1996 – 1997 के दौरान नर्मदा पुरम जिले की कलेक्टर के पद पर रहते हुए अपनी सेवाऐं दे चुके हैं।श्री ब्योहार ने सुशासन की परिभाषा देते हुए बताया कि जनहित और लोक कल्याण ही सुशासन का मुख्य उद्देश्य होते हैं। उन्होंने सुशासन स्थापित करने के लिए सरकार, शासन और प्रशासन के बीच के अंतर को स्पष्ट किया और बताया कि सरकार का कार्यपालिका और शासन का कार्य नीति निर्धारण तथा क्रियान्वयन होता है। उन्होंने सुशासन से संबंधित महत्वपूर्ण अधिनियमों जैसे सूचना का अधिकार, मानव अधिकार, लोक सेवा गारंटी आदि के बारे में भी अधिकारियों को जानकारी दी। श्री ब्योहार ने गुड गवर्नेंस के उद्देश्य पर चर्चा करते हुए बताया कि इसका मुख्य उद्देश्य संविधान, समानता, स्वतंत्रता, और सामाजिकग एवं आर्थिक विकास को सुनिश्चित करना होता है।उन्होंने सुशासन की आठ प्रमुख विशेषताओं की जानकारी दी, जिनमें भागीदारी, कानून का शासन, पारदर्शिता, जवाबदेही, समानता औरद समावेशिताा जैसी महत्वपूर्ण विशेषताएं शामिल हैं। उन्होंने सुंदरकांड की चौपाई सचिव, बैद, गुरु तीनि जौं बोलीं प्रिय आस, राज धर्म तन तीनि कर होई बेगहीं नास के माध्यम से सुशासने में असहमति एवं सहमति के महत्वे का वर्णन करते हुए बताया कि मंत्री विद्या और गुरु चाटुकारिताि‍ के चलतेह सत्य कथन नहीं बोलकर राजा की सद्भावना प्राप्त करने के लिए झूठ का सहारा लेते हैं तो राज्य शरीर और धर्म तीनोंह का ही नाश होताल है इसीलिए सत्य के मार्ग पर चलने वालेर शासकीय सेवक ही लोकतंत्रु की मजबूती और शासन के सुशासनह को सुनिश्चित करते हैं। उन्होंने गीत के माध्यम से शासकीयम सेवकों का कर्तव्य, लोकतंत्र में सरकार की नीतियों आदिक का उद्देश्य, अप्रत्यक्ष रूप से शासकीय सेवकों के कर्तव्य, दूरगामी उद्देश्य, परिवार प्रबंधन आदि विषयों पर भी अधिकारियों का दिशा निर्देशन किया। कार्यशाला के दौरान कलेक्टर सोनिया मीना, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री सोजान सिंह रावत, एडीएम डीके सिंह, डिप्टी कलेक्टर डॉ बबीता राठौर सहित अन्य जिला अधिकारी उपस्थित रहे।

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