नशा कर के गाड़ी चलाना कहीं न कहीं हमारी गैर-जिम्मेदाराना सोच..!
देश में शराब पीकर गाड़ी चलाने के खिलाफ बहुत सख्त कानून हैं,लेकिन अमीर और रसूखदार लोगों में इनकी परवाह प्राय: नहीं देखी जाती! भारतीय मोटर वाहन अधिनियम 1988 के तहत नशे में पहली बार गाड़ी चलाने पर दस हजार रुपए से लेकर पंद्रह हजार रुपए तक का जुर्माना और छह महीने तक की कैद हो सकती है। दूसरी बार पकड़े जाने पर पंद्रह हजार से बीस हजार रुपए तक के जुर्माने और दो साल तक की कैद हो सकती है। अगर किसी को गंभीर चोट लगती है, तो जुर्माना पच्चीस हजार से पचास हजार रुपए तक और तीन साल तक की कैद हो सकती है। वहीं, शराब के नशे में कुचलने से हुई मौत की स्थिति में पचास हजार से लेकर एक लाख रुपए तक जुर्माना और दस साल तक की कैद हो सकती है। लेकिन इन सब नियमों के बावजूद नशेड़ी अपनी जान तो जोखिम में डालते ही हैं, सड़क पर चलने वालों के लिए कब ये काल बन जाएं, पता नहीं।शराब एक ऐसा पदार्थ है, जो मस्तिष्क की कार्य क्षमता को कम करता है, इसके कारण सोचने-समझने, तर्क करने और मांसपेशियों के समन्वय में कमी आती है। वाहन चलाने के लिए इन सभी कौशलों की बहुत जरूरत होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अगर रक्त में मदिरा की थोड़ी-सी भी मात्रा है, तो इससे ड्राइवर का ध्यान भटक सकता है और अगर मात्रा ज्यादा है, तो गंभीर सड़क दुर्घटनाएं हो सकती हैं। नशा कर के गाड़ी चलाना कहीं न कहीं हमारी गैर-जिम्मेदाराना सोच का ही हिस्सा है। इसलिए हमें ही सोचना समझना चाहिए कि क्या सही है और क्या गलत। नशे में गाड़ी चलाने के विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।
रिपोर्टर रमेंश सैनी सहारनपुर इंडियन टीवी न्यूज़