आनलाइन गेम्स ने बच्चों की नन्ही अंगुलियों को डिजिटल स्क्रीन तक सीमित..
कुछ दशक पहले कितना आनंद था जीने का जब कभी हम बच्चे हुआ करते थे लेकिन अब नए युग मे बच्चे ना रहकर ऑनलाइन गेम्स में खो कर रह गए है!जब से दुनिया में तकनीकी क्रांति आई है तब से एक नए युग का सूत्रपात हुआ है। इसमें हर चीज ने रफ्तार पकड़ ली है। इस बदलाव के दौर में बच्चों का कोमल बचपन प्रायः कहीं पीछे छूटा नजर आता है। बदलाव की हवा ने बच्चों पर सबसे ज्यादा असर डाला है। अब बच्चे शाम होते ही गलियों-मोहल्लों में खेलते हुए कम दिखते हैं। अब पुराने टायर को सड़क पर दौड़ाने वाली, गिल्ली-डंडा, कंचे और बाहर हो चुकी है। अब ‘आनलाइन गेम्स’ ने बच्चों की नन्ही अंगुलियों को डिजिटल स्क्रीन तक सीमित कर दिया है। आजकल बच्चों का समय सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल गतिविधियों में बीतता है, जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित हो रहा है। जहां एक ओर यह डिजिटल दुनिया नई संभावनाएं और ज्ञान का द्वार खोल रही है, वहीं दूसरी ओर बच्चों की खेलकूद और सामाजिक कौशल में कमी भी महसूस हो रही है।
रिपोर्टर रमेंश सैनी सहारनपुर इंडियन टीवी न्यूज़