
रेल पटरियों पर कचरे का अंबार, प्रशासन की अनदेखी से बढ़ता संकट
भारतीय रेलवे देश की जीवनरेखा मानी जाती है, लेकिन हाल के वर्षों में कई जगहों पर रेल पटरियों का हाल देखकर यह सवाल उठने लगा है कि ये ट्रेन के लिए बनी हैं या कचरा फेंकने के लिए। बड़े शहरों से लेकर छोटे कस्बों तक, रेलवे ट्रैक के आसपास कचरे का ढेर आम दृश्य बन गया है। प्लास्टिक, घरेलू कचरा, निर्माण सामग्री और यहां तक कि औद्योगिक कचरे को भी लोग रेल पटरियों के किनारे फेंक रहे हैं।
ठाणे रेलवे स्टेशन यह मुंबई का बडा ही महत्त्वपूर्ण रेलवे स्टेशन है। ठाणे से नवी मुंबई मुख्य: पनवेल और वाशी जाने वाला बहुत बडा व्यापारी वर्ग तथा आयटी वर्ग है। आये दिन ईन सभी रेलवे यांत्रीयो को बडी ही मुश्किल का सामना करना पड रहा है।
दिघा और ठाणे रेलवे स्टेशन के बीचो बीच वहा के स्थानिय लोगोने रेलवे ट्रॅक को डपिंग ग्राउंड बना दिया है। रेलवे ट्रैक पर बढ़ते कचरे से न केवल यातायात बाधित हो रहा है, बल्कि यह पर्यावरण और जनस्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा बनता जा रहा है। प्लास्टिक और अन्य जैव-अविघटनीय (non-biodegradable) कचरे से मिट्टी और जल स्रोत प्रदूषित हो रहे हैं। इसके अलावा, खुले में फेंका गया कचरा बीमारी फैलाने वाले जीवों के लिए अनुकूल वातावरण बनाता है, जिससे स्थानीय लोगों को डेंगू, मलेरिया और अन्य संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
रेलवे प्रशासन और नगर पालिकाओं की लापरवाही के कारण यह समस्या और भी विकराल होती जा रही है। कचरा प्रबंधन को लेकर ठोस कदम नहीं उठाए जाने के कारण लोग रेल पटरियों को ही डंपिंग ग्राउंड के रूप में इस्तेमाल करने लगे हैं। वहीं, कई इलाकों में झुग्गी-झोपड़ियों के आसपास रहने वाले लोग भी ट्रैक के किनारे कचरा डालने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि उनके पास कचरा निस्तारण की उचित सुविधा नहीं होती।
भारतीय रेलवे ने ‘स्वच्छ रेल, स्वच्छ भारत’ अभियान के तहत सफाई व्यवस्था सुधारने के प्रयास किए हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि कई जगहों पर ये प्रयास महज औपचारिकता बनकर रह गए हैं। कुछ स्टेशनों पर कूड़ेदान लगाए गए हैं, लेकिन वे या तो नियमित रूप से साफ नहीं किए जाते या फिर लोग उनकी अनदेखी कर सीधे पटरी पर कचरा डाल देते हैं।
रेल पटरियां ट्रेन के लिए बनी हैं, न कि कचरा डालने के लिए। अगर इस समस्या का जल्द समाधान नहीं किया गया, तो यह न केवल रेलवे परिचालन के लिए बाधा बनेगी, बल्कि स्वास्थ्य और पर्यावरण पर भी गंभीर असर डालेगी। प्रशासन और आम जनता, दोनों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि रेलवे ट्रैक डंपिंग ग्राउंड न बनें, बल्कि सफाई और सुरक्षा का प्रतीक बनें।
*सुदर्शन मोरे, जर्नलिस्ट*
*इंडियन टीवी न्यूज*
*ठाणे*