चित्तौड़ गढ़ ( गंगरार )
सुरेश शर्मा
राजस्थान के चित्तौड़ जिले के सोनियाना कस्बे में मनाई जाने वाली लठ मार होली अपने आप में अनूठी परंपरा लिए हुए हैं जिसके बारे में जानकर हर कोई हैरान रह जाता है। सोनियाना कस्बे की लठ मार होली प्रदेश में एक अनूठी होली होती है। कस्बे में सीतला सप्तमी के दिन बारात व शवयात्रा एक साथ निकालने की परंपरा है। आगे आगे डी जे के साथ फौजिया की बारात चलती है तथा उसके पीछे मुर्दे की शव यात्रा। लोग नाचते-गाते, अबीर गुलाल उड़ाते हुऐ शव यात्रा व बारात में शामिल होते है। बारात और शव यात्रा एक साथ निकालने के पीछे लोगों की मान्यता है कि शवयात्रा के रूप में कस्बे की सभी बुराइयों का अंत होता है वहीं बारात के रूप में नई उमंग के साथ कस्बे में खुशहाली का आगमन होता है। वहीं शव यात्रा के माध्यम से यह भी संदेश दिया जाता है कि मानव शरीर नश्वर है जिसका एक दिन अंत निश्चित है। सीतला के दिन होली खेलने वाले लोग चारभुजा मंदिर बाजार में इकट्ठे होते है। सभी लोग मिलकर पुतले को अर्थी पर सुला देते है जिसको शव यात्रा के रूप में कस्बे वासियों के द्वारा रुदन करते हुए पूरे गांव के चक्कर लगा कर पुनः चारभुजा मंदिर तक ले जाकर उसका फौजिया खत्म किया जाता है
इसके बाद सभी लोग अपने अपने घर पर नहा धो कर नए कपड़े पहन कर वापस बाजार में इक्कट्ठे होकर हनुमानजी के रोठ चढ़ा कर पोटलिया खेलने चारभुजा मन्दिर पर जमा होते है इसके बाद वहा पर गुजर व जाट समाज के नये जोड़े पोटलिया खलने लग जाते है जिसमे ओरतो के हाथों में लठ होता है जो अपने पति पर वार करती है और पति अपनी पत्नी पर पोटली द्वारा पानी डालता है और पत्नी उससे बचने के लिये पति पर लठ बरसाती है जिसमें कस्बे के सभी लोग सांप्रदायिक सौहार्द के साथ एक दूसरे को रंग लगाते हुए गरमा गरम चाय पकौड़ी का आनंद लेते हैं।