प्रशासनिक और राजनैतिक हठधर्मिता का उदाहरण सोशल मीडिया पर दिखने लगा महसूस हुआ सोशल मीडिया के जरिए लोग अपनो के बीच अपनी ताकत ढूढ़ रहे हैं महिने दर महिने खत्म होने के बाद जागरूकता को लेकर जब आवाज कमजोर लगे
जनहित में आवाज बुलंद करने का बेहतर प्लेटफार्म सोशल मीडिया साबित हो सकता है बशर्ते मामला सामाजिक होना चाहिये
जिम्मेदारी से बचने के लिए लिए एक मामले में नगर प्रशासन और जवाबदार राजनेताओं ने यहां आंख कान बंद कर रखे हैं जबकि प्राचीन धरोहर को बचाने के लिए जागरूक जनता आए दिन इस मसले को किसी ना किसी रूप से जिन्दा रखे हैं जिसे नगर की शान कहलाता गवर्नमेंट स्कूल जो
स्वतंत्रता संग्राम के शूरवीरों की कहानियां सुनना था अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष नहीं कर पा रहा
स्कूल से लगे मैदान पर करोड़ो से बनने वाले छात्रावास को प्रशासन और नेता दूसरी ओर शिप्ट करने नगर का खेल मैदान नही बचा पा रहे विधायक की मौन स्वीकृति ओर विपक्ष की खामोशी जिसमे स्कूल के टूट रहे अस्तित्व को खंडित करने में हथौड़ा साबित हो रहे है
प्रभारी मंत्री तक इस जनहित के मुद्दे की सुनने का साहस नहीं कर पा रहे
एक स्कूल है जिसमें कभी भारत के पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा पड़ते थे एक किले का बचा हुआ बहुत छोटा हिस्सा है और एक उद्यान है जिसमें भवानी प्रसाद मिश्र की कविता सन्नटा लिखी हुई हैं उस जगह जहा बैठकर उन्होंने यह कविता लिखी थी अब विकास ने अपने खूनी दांत यहाँ गड़ाना सुरु किया है किला उद्यान स्कूल कविता और स्मृति सब मारे जाएंगे सभ्यताएं ऐसे ही मरती है
होशंगाबाद इंडियन tv न्यूज़ चैनल से
ब्यूरो चीफ वीरेन्द्र सिंह चौहान