नेटफ्लिक्स की ‘TEST’ फिल्म रिव्यू: जब ज़िंदगी देती है सबसे कठिन परीक्षा
2024 की शुरुआत में नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई तमिल फिल्म ‘TEST’ अपने आप में एक अनोखा सिनेमाई प्रयोग है, जहां क्रिकेट का मैदान सिर्फ खेल का नहीं, बल्कि जिंदगी की परीक्षा का प्रतीक बन जाता है। फिल्म को डायरेक्ट किया है एस. शशिकांत ने और लीड रोल्स में हैं – आर. माधवन, नयनतारा और सिद्धार्थ। ये तीनों किरदार एक ऐसी कहानी का हिस्सा हैं जो क्रिकेट से शुरू होकर आत्मा की गहराइयों तक पहुंचती है।
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🏏 कहानी: जब एक टेस्ट मैच बन जाए ज़िंदगी की सबसे बड़ी चुनौती
फिल्म की पृष्ठभूमि चेन्नई में हो रहे एक ऐतिहासिक टेस्ट मैच पर आधारित है। स्टेडियम में क्रिकेट की गर्मा-गर्मी है, लेकिन कैमरा बार-बार हमें मैदान से बाहर लेकर उन लोगों की ज़िंदगी में ले जाता है, जिनकी निजी कहानियां इस मैच से जुड़ती जा रही हैं।
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माधवन का किरदार एक ऐसे व्यक्ति का है जो पारिवारिक संकट से जूझ रहा है। उसके लिए यह मैच सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत की उम्मीद है।
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नयनतारा एक सशक्त और संवेदनशील महिला के किरदार में हैं, जो नैतिकता, रिश्तों और जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करती है।
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सिद्धार्थ, जो अक्सर शांत नजर आते हैं, लेकिन भीतर ही भीतर टूटे हुए हैं। उनका संघर्ष हमें अहसास कराता है कि हर मुस्कान के पीछे एक कहानी होती है।
इन तीनों की ज़िंदगी एक-दूसरे से अलग होते हुए भी, इस टेस्ट मैच के जरिए एक बिंदु पर आकर टकराती है — और वहीं से शुरू होता है असली ड्रामा।
🎭 अभिनय की परीक्षा में कलाकारों ने पास ही नहीं, टॉप किया है
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आर. माधवन हमेशा की तरह गंभीर और भरोसेमंद हैं। उनके चेहरे के हावभाव, डायलॉग डिलीवरी और इमोशनल सीन्स में उनकी परिपक्वता दिखती है।
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नयनतारा ने एक बार फिर साबित किया कि क्यों उन्हें ‘लेडी सुपरस्टार’ कहा जाता है। उनका किरदार ना सिर्फ मजबूत है, बल्कि बेहद मानवीय भी है।
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सिद्धार्थ की परफॉर्मेंस धीरे-धीरे दिल में उतरती है। वो जितना कम बोलते हैं, उतना ही ज़्यादा कह जाते हैं।
🎥 निर्देशन और टेक्निकल लेवल पर फिल्म का प्रदर्शन
निर्देशक एस. शशिकांत ने एक बेहद रिस्की कांसेप्ट को चुना – एक क्रिकेट मैच और तीन इमोशनल स्टोरीज को एक धागे में पिरोना आसान नहीं होता। लेकिन उन्होंने बखूबी ये काम किया है।
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सिनेमैटोग्राफी शानदार है – चाहे वह स्टेडियम के बड़े-बड़े दृश्य हों या किसी कमरे के भीतर की खामोशी।
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बैकग्राउंड म्यूज़िक इमोशन्स को अच्छे से सपोर्ट करता है, खासकर क्लाइमेक्स में।
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एडिटिंग थोड़ी टाइट हो सकती थी। कुछ सीन खिंचते हैं, जिससे फिल्म की गति धीमी लग सकती है।
💔 कमज़ोर पक्ष भी हैं
जहाँ कहानी का भावनात्मक पहलू मजबूत है, वहीं कुछ हिस्सों में स्क्रीनप्ले धीमा हो जाता है। दर्शकों को लगातार बांधे रखने के लिए थोड़ी और कसावट की ज़रूरत थी।
इसके अलावा, फिल्म का क्रिकेट एंगल जो शुरुआत में काफी दिलचस्प लगता है, वह बाद में सिर्फ बैकड्रॉप बनकर रह जाता है। जो दर्शक स्पोर्ट्स ड्रामा की उम्मीद से फिल्म देखने आएंगे, उन्हें थोड़ी निराशा हो सकती है।
✅ फिल्म क्यों देखें?
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अगर आप इमोशनल ड्रामा, बेमिसाल अभिनय और सोचने पर मजबूर करने वाली कहानियां पसंद करते हैं।
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अगर आप क्रिकेट को सिर्फ खेल नहीं, एक भावना मानते हैं।
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और अगर आप चाहते हैं कि फिल्म आपको अंत में सोचने पर मजबूर करे – तो ‘TEST’ आपके लिए है।
🌟 अंतिम फैसला (Final Verdict):
‘TEST’ एक ऐसी फिल्म है जो शोर-शराबे से दूर, बेहद सादगी से गहरी बातें कहती है। यह फिल्म क्रिकेट के बहाने जीवन, रिश्ते और आत्मा की परीक्षा लेती है। कुछ कमज़ोरियों के बावजूद यह फिल्म देखने लायक है, खासकर उन लोगों के लिए जो कंटेंट-ड्रिवन सिनेमा पसंद करते हैं।
📌 रेटिंग: 3.8/5