
स्कूलों की मनमानी से अभिभावक बेहाल, सरकार मौन
सहारनपुर: शहर के निजी स्कूलों की मनमानी से अभिभावकों की कमर टूट रही है। हर वर्ष जानबूझकर पाठ्यक्रम में फेरबदल कर पुरानी किताबों को नया रूप देकर बेचा जा रहा है। किताबों के नाम, कवर और पृष्ठक्रम बदलकर उन्हें “नया संस्करण” बताया जाता है, जबकि विषयवस्तु लगभग वही होती है। इससे अभिभावकों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ डाला जा रहा है।
कुछ जागरूक नागरिकों और संगठनों ने पुरानी किताबों के पुनः प्रयोग की मुहिम छेड़ी है, लेकिन स्कूल प्रशासन ऐसे प्रयासों को असफल करने में जुटा है। किताबों की दुकानें भी उन्हीं स्कूलों से जुड़ी होती हैं, जिससे अभिभावक विकल्पहीन हो जाते हैं।
स्कूलों द्वारा मनमाने ढंग से फीस वृद्धि करना भी आम हो गया है। अभिभावक लगातार विरोध कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन और सरकार की चुप्पी गंभीर सवाल खड़े करती है। दरअसल, अधिकांश स्कूल-कॉलेज सत्ता पक्ष से जुड़े लोगों के हैं, जिससे सरकारी हस्तक्षेप की संभावनाएं क्षीण हो जाती हैं। शिक्षा के नाम पर व्यापार और अभिभावकों की मजबूरी का यह शोषण अब असहनीय होता जा रहा है। सरकार को शीघ्र हस्तक्षेप कर सख्त कदम उठाने चाहिए।
रिपोर्टर रमेंश सैनी सहारनपुर इंडियन टीवी न्यूज़