
अब डरता हूँ सच लिखने से कही कलम जला दी न जाये अब डरता हूँ सच कहने से कही सांसे न थम जाये पर हम भी नहीं है रुकने वाले कितनी कलमे तोड़ेंगे वो कब तक सच से मुह मोड़ेंगे वो हम भी फ़ौलादी हौंसले वाले अपने सीने की आग जलाकर कोरे पन्नों पर लिखने वाले सच को जो कर रहे प्रताड़ित पर पराजित न कर पायेगें भले जीत कर चल रहे पर मेरे हौंसले न तोड़ पायेगें।
रमेश सैनी सहारनपुर इंडियन टीवी न्यूज़