चीन के खतरनाक मंसूबे

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China's dangerous plans

एक बार फिर चीन ने अरुणाचल के तवांग सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश की है। बीते शुक्रवार को हुई इस कोशिश को भारतीय सैनिकों ने नाकाम किया है। संघर्ष में दोनों देशों के सैनिक घायल हुए हैं। संसद में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने स्वीकार किया है कि कुछ भारतीय सैनिक घायल हुए हैं मगर किसी तरह की जान की हानि नहीं हुई है। दरअसल, चीनी सैनिकों ने नौ दिसंबर को तवांग सेक्टर के यांग्त्से इलाके में वास्तविक नियंत्रण रेखा में अतिक्रमण करके यथास्थिति को बदलने का असफल प्रयास किया था। भारतीय बहादुर जवानों ने चीनी सैनिकों का डटकर मुकाबला किया और उन्हें उनकी पोस्ट पर वापस लौटने के लिये बाध्य किया। वहीं अरुणाचल के एक सांसद का दावा है कि चीनी सैनिक ज्यादा संख्या में घायल हुए हैं। वहीं अब चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि भारत से लगी सीमा पर स्थिति सामान्य है। चीनी सरकारी मीडिया में कहा जा रहा है कि भारत से सैन्य व राजनयिक स्तर पर वार्तालाप जारी है। दरअसल, अरुणाचल के तवांग क्षेत्र पर चीन की कुदृष्टि लंबे समय से रही है। वह इसे दक्षिण तिब्बत के नाम से संबोधित करता रहा है। उसने वर्ष 1962 में आक्रमण के जरिये अरुणाचल के एक हिस्से पर कब्जा कर लिया था। भारी दबाव के बाद ही चीनी सेना मैकमोहन रेखा से पीछे हटी थी। हाल के वर्षों में दोनों देशों के रिश्तों में खटास आई है। साम्राज्यवादी चीन कई इलाकों में अतिक्रमण के जरिये यथास्थिति को बदलने की कुत्सित कोशिश करता रहा है। दरअसल, दोनों देशों के बीच करीब साढ़े तीन हजार किलोमीटर लंबी सीमा का आजादी के बाद भी ठीक-ठीक निर्धारण नहीं हो पाया। जिसकी वजह भौगोलिक जटिलता भी रही है। इन इलाकों में नदियों, झीलों व बर्फीले पहाड़ों के कारण एलएसी को लेकर विवाद उत्पन्न होता है। जो कालांतर सैनिकों के टकराव का कारण बनता है।

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