
लोग अपना आज देख रहे हैं अपनी आने वाली पीढ़ी का कल नहीं..!
आजकल मनुष्य सिर्फ अपनी सुख-सुविधाओं और आराम के लिए काम कर रहा है। लोग अपना आज देख रहे हैं अपनी आने वाली पीढ़ी का कल नहीं। इसी वजह से अधिकांश लोगों को न तो पर्यावरण की चिंता होती है और न ही धरती की। ऐसे लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।इस दिन देशभर में जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। कहीं जागरूकता रैली तो कहीं सभाएं होती हैं।इस साल की थीम प्लास्टिक प्रदूषण को ध्यान में रखकर ही रखी गई है। दरअसल प्रदूषण के समाधान के लिए सिर्फ सरकार जिम्मेदार नहीं है, बल्कि इसके लिए हर एक व्यक्ति की भूमिका महत्वपूर्ण है।जबकि पूरी सृष्टि प्रकृति और पर्यावरण पर निर्भर है। जीने के लिए जिस हवा, पानी, खाद्य की जरूरत होती है, वह पर्यावरण की देन है। इनके बिना सृष्टि और किसी जीव की कल्पना भी नहीं की जा सकती। हमारे आसपास का वातावरण पेड़-पौधे, नदी, जंगल, जमीन और पहाड़ आदि से घिरा है। इसी को तो प्रकृति कहते हैं। इसी प्रकृति से हम बहुत कुछ लेते हैं, लेकिन बदले में हम प्रकृति को क्या देते हैं? अगर ध्यान देंगे तो दशकों से हम प्रकृति को सिर्फ प्रदूषित कर रहे हैं। पर्यावरण का दोहन कर रहे हैं। जंगलों को काटना, नदियों को गंदा करना, वातावरण को प्रदूषित करना आदि के कारण हम प्रकृति का अस्तित्व खत्म करने के साथ ही अपने जीवन और आने वाली पीढ़ी के लिए खतरनाक वातावरण बना रहे हैं। ऐसे में छोटे छोटे प्रयास करके हम पर्यावरण संरक्षण कर सकते हैं। अगर प्रकृति संरक्षित होगी तो मानवीय जीवन सुरक्षित होगा। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस पर्यावरण दिवस के मौके पर आप भी अपने दोस्तों, करीबियों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करके प्रकृति के संरक्षण में अपना योगदान दें। रमेश सैनी सहारनपुर इंडियन टीवी न्यूज़