ब्यूरो चीफ राकेश मित्र जिला-कांकेर
इसका बढ़ना रुका नहीं, मौसम भी प्रतिकूल रहा, राष्ट्रधर्म है जड़ में इसकी, फल व्यक्ति निर्माण है, त्याग तपस्या पत्ता-पत्ता हिन्दू इसके प्राण है, जब-जब मां पर विपदा आई, हाथों में त्रिशूल रहा, इसका बढ़ना रुका नहीं, मौसम भी प्रतिकूल रहा, यह धरती है सबकी माता, इसकी गोदी में खेले हैं, भगवा ध्वज है गुरु हमारा, हम सब इसके चेले है आना है नित शाखा भैया, क्यो तेरा मनवा झूल रहा इसका बढ़ना रुका नहीं, मौसम भी प्रतिकूल रहा, लक्ष्य दूर है, राह कठिन है, साथ-साथ हम चलते हैं घनघोर तिमिर में दीपक बनकर आंधी में भी जलते हैं याद दिलाते उस अतीत की, जिसको यह जग भूल रहा हैं। इसका बढ़ना रुका नहीं, मौसम भी प्रतिकूल रहा सतत साधना नित्य प्रार्थना, भारत के गुण गाएंगे नहीं रुकेंगे कदम हमारे, परम वैभव तक जाएंगे।