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बुराई पर अच्छाई की हुई जीत श्री राम के द्वारा घमंडी रावण का किया गया वध,
हिंदू धर्म में हर साल अश्वनी मांस के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरे का त्यौहार मनाया जाता है इस दौरान देशभर में रावण के पुतले का दहन किया जाता है हिंदू धर्म मैं दशहरे के त्यौहार को बुराई पर अच्छाई की और अंधकार पर रोशनी की जीत का प्रतीक माना जाता है
हिंदू मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्री राम ने लंकापति रावण का वध किया था रावण आज शास्त्र का ज्ञाता था और बलशाली तथा महा ज्ञानी भी था यही कारण है कि रावण के वध के बाद भगवान ने अपने भाई लक्ष्मण को उसके पास राजनीति शिक्षा लेने के लिए भेजा था इतना ज्ञानी होने के बावजूद रावण की सबसे बड़ी कमी उसका अहंकार था राम अपने अहंकार के चलते ही गलतियां करता था राम और को अपनी ताकत पर बहुत अहंकार था वह विश्व विजेता बनना चाहता था इसके लिए उसने भगवान ब्रह्मा की तपस्या करके अमर होने का वरदान मांगा था लेकिन भगवान ब्रह्मा ने यह कहते हुए मना कर दिया था की मृत्यु तय है इस पर रावण ने यह वरदान मांगा कि मेरी मृत्यु मनुष्य और वानर के सिवा किसी के हाथों ना हो रावण को अहंकार था कि मेरी शक्ति से तो देवता भी डरते हैं ऐसे में सामान्य मनुष्य और वानर मेरा क्या बिगाड़ लेगा यही कारण है कि भगवान विष्णु ने रावण को मारने के लिए सामान्य मानव के रूप में अवतार लिया एक सामान्य मानव के रूप में जब भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया तो इससे यह संदेश गया कि बुराई कितना भी शक्तिशाली क्यों ना हो अंत में जीत अच्छाई की ही होती है यही कारण है कि हर साल बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में रावण का पुतला दहन किया जाता है,
इंडियन टीवी न्यूज़ बबलू सविता डिस्टिक रिपोर्टर शुक्लागंज उन्नाव