शहर के बीचों बीज स्थित गवालमागरा तालाब अपनी बैबसी पर रो रहा है सफाई के नाम पर जैसीबी मशीनें लगाई गई कमृचारियो को तैनात किया गया मजदुरो को लगाया गया लेकिन जस का तस लाखों रुपए खर्च किये गए मगर सब बेकार जहाँ पानी के लिए लोग तरस रहे हैं वही पानी के सरोवर को नष्ट किया जा रहा है कहने वाले तो कह रहे हैं कि पानी का पैसा पानी की तरह बह गया देखना है कि पृशासनिक अमला अपनी चुप्पी कब तोडता है|
छतरपुर म़प्र से जितेंद्र निगम व्यूरो