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नारद महाराज परमहंस आश्रम शक्तेशगढ़ मिर्जापुर से मड़ियाहूं तहसील के अंतर्गत ग्राम शिउरा में आगमन हुआ

मड़ियाहूं जौनपुर श्रद्धा विश्वास और समर्पण के साथ एक ईश्वर की शरण हर मानव को जाना चाहिए यदि श्रद्धा नहीं है तो साधन पथ कठिन है बड़े भाग्य मानुष तन पावा सुर दुर्लभ सब ग्रंथन गावा बड़े भाग्य उस से मनुष्य तन मिला है इसका सदुपयोग करें उक्त बातें परमहंस स्वामी अड़गड़ानंद महाराज जी के मुख्य शिष्य एवं उत्तराधिकारी नारद महाराज में परमहंस आश्रम सिऊरा मे त्रिशूल स्थापना के बाद श्रद्धालु जनों को संबोधित करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि मनुष्य अपने कर्मों का निर्माता है। आत्मा ही सत्य है सनातन है शाश्वत है अजर अमर और अ परिवर्तनशील है अपनी आत्मा को अधोगति में न जाने दें मानव तन मिला है तो सब कार्य करते हुए परमात्मा के परिचायक ओम का उच्चारण करें और जप करें किसी तत्वदर्शी सद्गुरु के शरण में जाएं। मानव तनही साधन धाम और मोक्ष का द्वार है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि मेरी पूजा विथि बहुत ही सरल है पुष्प जल पत्र जो कुछ भी मनुष्य श्रद्धा से मुझे अर्पण करता है मैं उसे ग्रहण करता हूं एक परमात्मा के चरणों में जो व्यक्ति श्रद्धा के साथ लग गया है वही धार्मिक है। यह संसार कैदखाना है मुर्दों का गांव है अगर कोई चीज शाश्वत और सत्य है तो वह ईश्वर का भजन परमात्मा का भजन सुबह शाम नियमित रूप से करें गीता में श्रीकृष्ण ने ओम के जप पर बल दिया चलते फिरते उठते बैठते जब नाम याद आएजप करें । बिना सतगुरु के भजन की जागृति नहीं होती है सद्गुरु की शरण में रहे। गीता में श्रीकृष्ण कहते है की अत्यंत दुराचारी और पापी ही क्यों ना हो उसने भी ईश्वर पथ में गीता के अनुसार कदम रख दिया है तो साधु मानने योग्य है जबकि अभी वह साधु नहीं है ओम का जप करें निश्चित रूप से कल्याण होगा। इस मौके पर रमेश शर्मा प्रमोद कुमार मिश्रा डॉ सुरेश ओम प्रकाश विनय कुमार दुबे संतोष डॉक्टर बृजेश तथा विजय बहादुर सिंह सहित अनेक लोग थे।

जौनपुर ब्यूरो चीफ शादाब अंसारी की रिपोर्ट

 

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