लोकेशन जतारा
जिला ब्यूरो महेंद्र कुमार दुबे
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को सभी वर्ग के लोगों ने समर्पित की विनयांजलि ।
अनूठी विनयांजलि
समाचार
जतारा
आध्यात्म सरोवर के राजहंस, श्रमण संस्कृति के उन्नायक, जैनत्व के सर्वोच्च महासाधक, राष्ट्र चिंतक, मूक माटी महाकाव्य के सृजेता परम पूज्य विश्व वंदनीय संत शिरोमणि आचार्य गुरुवर 108 श्री विद्यासागर जी महा मुनिराज की उत्तम समाधि 18 फरवरी की प्रातः 2:35 पर छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ के चंद्रगिरी तीर्थ पर संपन्न हुई थी । दिनांक 25 फरवरी को संपूर्ण भारतवर्ष में एक साथ विनयांजलि कार्यक्रम संपन्न हुए, नगर जतारा में भी ऐतिहासिक विनयांजलि गुरु को समर्पित की गई ।
नगर के मुख्य बाजार में विनयांजलि कार्यक्रम संपन्न किया गया, जहां सभी धर्म के अनुयाई एकत्रित हुए और अपने भावों को शब्द रूप में गुरु के गुणानुवाद प्रस्तुत कर गुरु आराधना में डूबे रहे ।
नगर की ब्रह्मचारिणी बहनों प्रज्ञा दीदी एवं सूर्यांशी दीदी ने भी अपने श्रद्धा सुमन समर्पित किये । समस्त अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया,और सिलसिला शुरू हुआ गुरु के गुणानुवाद का जो की देर रात तक चलता रहा ।ब्रह्मचारी अंकित भैया जी द्वारा कार्यक्रम का कुशल संचालन किया गया ।
भारतीय जैन संगठन तहसील अध्यक्ष एवं जतारा जैन समाज उपाध्यक्ष अशोक कुमार जैन ने बताया कि,विनयांजलि कार्यक्रम में नगर के प्रशासनिक अधिकारियों सहित सर्व धर्म के लोग सम्मिलित रहे, एवं अपने भाव पुष्प गुरु चरणों में समर्पित किए । विनयांजलि देने वालों में ,अनुराग राम जी नायक, अमित नुना, अब्दुल लतीफ चौधरी,शहर काजी रफीक काजी,अनिल मिश्रा तैजस्व,रमेश पाठक, प्रकारा रोशन, हरि बाबू शर्मा, एल० एन० शर्मा,मनोजी शर्मा,शफी मुहम्मद, रवीन्द्र सिंह गौर, प्रशांत खरे, नवीन साहू, गोविन्द राम तिवारी,बृज किशोर तिवारी,नवल सक्सेना, एनआर घोष,महेश यादव, आलोक भार्गव, मुकेश तिवारी,बाबू लाल गुप्ता, गणेश आदिवासी, रोहित चौरसिया, पूनम सिंघई, शिल्पा सिंघई सहित कई लोगों ने अपने भाव पुष्प समर्पित किए ।
कार्यक्रम के अंत में जतारा जैन समाज अध्यक्ष महेंद्र जैन द्वारा समस्त अतिथियों का आभार व्यक्त किया गया ।