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माता – पिता बच्चों को समझें उन पर अधिक दबाव न डालें….. अभी दिनाँक 25.04.2024 को 10वीं व 12वीं के परीक्षा परिणाम आना है।

माता – पिता बच्चों को समझें उन पर अधिक दबाव न डालें….. अभी दिनाँक 25.04.2024 को 10वीं व 12वीं के परीक्षा परिणाम आना है।

रिपोर्टर विजय कुमार यादव

जिनके बच्चों या बच्चियों ने उक्त परीक्षाएं दी हों वे माता – पिता अपने – अपने बच्चों या बच्चियों से सकारात्मक बात करें । यदि परीक्षा परिणाम
सम्भावना के विपरीत हो तव भी बच्चों व बच्चियों को ये महसूस होना चाहिए कि मेरे माता – पिता मेरे साथ हैं । अन्यथा माता – पिता की अपने पुत्र – पुत्रियों से मेरिट लिस्ट में आने की लिप्सा आपके पुत्र – पुत्रियों को डिप्रेशन
का शिकार बना सकता है। याद रखें ऐसी स्थिति में बच्चों के डिप्रेशन में जाने के लिए सबसे अधिक दोष माता – पिता की बच्चे से अधिक – से – अधिक अंक लाने के लिए दबाव बनाना ही है । माता – पिता स्वयम् चाहे थर्ड डिवीजन में ही पास हुए हों पर वो अपने बच्चों से मैरिट लिस्ट में आने के लिए बहुत दबाव बनाते हैं । फलतः मैरिट लिस्ट में न आने पर बच्चे निराश हो जाते हैं । कई बार उन्हें लगने लगता है कि अब माता – पिता को क्या मुंह दिखाएंगे ..? यह प्रश्न बच्चों को डिप्रेशन में पहुंचा देता है। हताश निराश बच्चा कुछ भी कर सकता है । वो अपनी जीवन लीला समाप्त भी कर सकता है । उक्त डिप्रेशन व बच्चे के जीवन लीला समाप्त करने के लिए जिम्मेदार अप्रत्यक्ष रूप से माता – पिता ही होते हैं । मनोविज्ञान यह कहता है कि बच्चों में बुद्धि जन्मजात होती है । सभी बच्चों में बुद्धि का प्रतिशत् कम – अधिक होता है । जिस बच्चे में बुद्धि का प्रतिशत बहुत अधिक होता है और वे वैसा लिखने में भी सक्षम होते हैं तो वे मैरिट लिस्ट में आते हैं । जिन बच्चों में बुद्धि का प्रतिशत काफी कम होता है और यदि वे बढ़िया ढंग से लिखने में भी सक्षम नहीं हैं ऐसे बच्चे प्रायः असफल हो जाते हैं । अब ऐसी स्थिति में बच्चों का कोई दोष नहीं होता है किन्तु परिणाम आने पर माता – पिता अन्य सफल बच्चों से तुलना करके अपने बच्चों को बहुत लताड़ते हैं । कई बार इस लताड़ के बहुत भयानक परिणाम… बच्चे अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेते हैं ।
कई बार माता – पिता जिनके 10वीं 12वीं के परीक्षाफल सामान्य रहे हैं ऐसे माता -पिता भी अपने बच्चों से मैरिट लिस्ट में आने असम्भव अपेक्षाएं रखते हैं। जबकि कम योग्य माता – पिता की संतान कम योग्य ही होगी । विरली स्थिति में ही ऐसे माता – पिता की संतान प्रतिभावान भी हो सकती है पर दबाव डालने से नहीं बल्कि प्रतिभावान होगी तो सामान्य स्थिति में ही होगी । कोचिंग व अन्य शैक्षिक सुविधाएं उपलब्ध कराने से निश्चित ही कुछ अंशों में बच्चों की स्थिति में सुधार होता है पर इतना सुधार भी नहीं हो सकता है कि सामान्य बुद्धि लब्द्धि स्तर के बच्चे प्रतिभावान हो जांय ।
हमारे देश में शिक्षा व्यवस्था में सबसे बड़ी कमी है कि हमारे यहां बच्चों के बुद्धि मापन की व्यवस्था नहीं है । अन्यथा बुद्धि मापन से बच्चों की बुद्धि लब्धि स्तर का पता लगा लिया जाता है और बच्चों के बुद्धि लब्धि स्तर के अनुकूल अध्यापन ( सीखना – सिखाना ) का स्तर तय किया जाता है । अभी – अभी पिछले कुछ वर्षों से भारत में भी बच्चों के बुद्धि लब्धि का स्तर ज्ञात कर अध्यापन ( सीखना -सिखाना ) की प्रक्रिया प्रारम्भ हो गई है । अभी उस प्रक्रिया में कुछ सुधार करने की जरूरत है ।
सामान्य बुद्धि लब्धि स्तर के माता – पिता की संतानें सामान्य बुद्धि लब्धि स्तर की ही होंगी । ऐसे माता – पिता अपने बच्चों पर बहुत अधिक दवाव न दें । बल्कि अपने बच्चों से बहुत प्यार से बातें करें और पहले से ही कह दें… हमारा अधिकार कर्म में है फल में नहीं . परिणाम जो भी होगा हमें स्वीकार होगा । इसलिए बेटी / बेटा तुमने मन लगाकर पढ़ाई पूरी की और परीक्षा दी है अब जो परिणाम आते हैं हम उसे प्रसन्न मन से स्वीकार करेंगे । आगे भी तुम बेटा / बेटी जैसा चाहोगे वैसा ही करेंगे । एक बात यह भी है कि माता – पिता को अपनी पारिवारिक स्थिति की पूरी जानकारी होती है इसलिए आपलोगों को हमारे सुझाव पर भी विचार करना होगा ।
पढ़े फारसी बेचैं तेल
ये देखो किस्मत के खेल ॥
बच्चों के आत्मबल को बढ़ाने के लिए हम ऐसी उक्तियां कहकर भी बच्चों को… परीक्षा के किसी भी तरह के परिणाम घोषित होने पर उसमें सहज स्वीकार करने की शक्ति पैदा कर दें ।
बच्चे जब बड़े हो जाते हैं तव वे माता पिता के अच्छे मित्र होते हैं । इसलिए भी बच्चों से सहज – सरल ढंग से मित्रवत् बात क्यूं नहीं की जाय ।
कई बार बच्चे जितना लिखते हैं उतने अंक नहीं मिलते हैं । ऐसी स्थिति में पुनर्मूल्यांकन कराया जा सकता है । अंत में…. बच्चों में सकारात्मक भाव पैदा करें….!
राम लखन सिंह चौहान
अक्खड़
अध्यक्ष – लोक समिति जिला उमरिया मध्यप्रदेश

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