ग्राउंड रिपोर्टः हुजूर ! मत कुरेदिए जरखोर का जख्म, हमें चंदौली के सांसद डा. महेंद्रनाथ नहीं चाहिए
Indian tv news /ब्यूरो चीफ. करन भास्कर चन्दौली उत्तर प्रदेश
चंदौली। दहकती गरमी और हरहराती लू में घर के बाहर सिर पकड़े 38 वर्षीया सुनीता सड़क के किनारे लगे हैंडपंप पर पानी भरने के लिए निकलीं। चपाकल से पानी भरते-भरते वो अचानक रुआंसी नजर आईं। फिर वो एक कच्चे मकान के किनारे खड़ी हो गईं। इनके साथ गांव की कुछ और महिलाएं पानी भरने आई थीं। पानी के संकट का जिक्र करते हुए सुनीता भावुक हो जाती हैं। वह कहती हैं, ”पानी की बहुत परेशानी है हमें। डेढ़ सौ की आबादी में इकलौता हैंडपंप भी दोपहरिया में पानी छोड़ने लगता है। काफ़ी मेहनत के बाद पानी आता भी है, तो गंदा आता है। पानी की परेशानी सिर्फ हमें ही नहीं जरखोर गांव की समूची दलित आबादी को है। कई बार हैंडपंप पर लाइन लगानी पड़ती है।”
दर्द भरी यह कहानी चंदौली जिले के जरखोर गांव के उस सुनीता की है जिसे देश के भारी उद्योग मंत्री डा.महेंद्रनाथ पांडेय ने कई साल पहले गोद लिया था। चंदौली जिले का यह चर्चित गांव पहले जौ की खेती के लिए प्रसिद्ध था। पेयजल की मुश्किलों से जूझने वाली दलित बस्ती की सुनीता इकलौती महिला नहीं हैं। जरखोर गांव की दलित और बियार बस्ती में पीने के पानी की जबर्दस्त किल्लत है।